रायपुर। कांकेर शहर में जंगली भालुओं की आमद नई बात नहीं है। लेकिन बीते दिनों शहर के सिविल लाइन इलाके में जब एक भालू घुसा तो उसे इस बात का अंदाजा बिल्कुल नहीं था, कि इस बार उसका सामना जैकी से होगा। फिर क्या था भालू आगे-आगे और जैकी की टीम पीछे पीछे भाग रही थीं।
कांकेर शहर के सिविल लाइन इलाके में मंगलवार को एक जंगली भालू घुस आया। जिसके बाद आसपास रहने वालों में हड़कंप मच गया। इस बीच भालू का सामना कुत्तों की फौज से हो गया। फिर कुत्तों ने भालू को खदेड़ना शुरू किया। कुत्तों ने भालू को परेशार डाला। जिसके बाद भालू अपनी जान बचाकर भाग गया। स्थानीय लोगों ने इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल किया है। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे एक भालू अपने पीछे पड़े कुत्तों से जान बचाने के लिए मशक्कत कर रहा है।
आए दिन आते हैं भालू
बतादें कि कांकेर शहर में जंगली जानवरों का आना-जाना लगा रहता है। गडिया पहाड़ से लगे इलाके में भालू आए दिन आते रहते है। सबसे अधिक भालू सिविल लाइन, आमापारा, मांझापारा, शीतला मंदिर, श्रीराम नगर वार्ड, आदर्श नगर, शिव नगर, उदय नगर, गोविंदपुर, ठेलकाबोड़ में देखे जाते है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जानवरों का शहर की ओर आने का बड़ा कारण जंगलों में भोजन की कमी है। इसलिए अपनी भूख मिटाने जंगली जानवर आबादी वाले इलाकों का रुख कर रहें हैं।
जामवंत योजना फेल
कैम्पा योजना के तहत वर्ष 2014-2015 में जामवंत परियोजना शुरू हुई थी। शिव नगर और ठेलाकाबोड़ स्थित पहाड़ी के 30 हजार 630 हेक्टेयर भूमि को भालू रहवास बनाया गया। योजना के तहत अमरूद, बेर, मकोय, जामुन, गुलर, और आम के पौधे तो लगाए गए थे, लेकिन बेर, मकोय के पौधों के छोड़कर दूसरा कोई भी पौधा अब तक फल देने लायक नहीं हुआ है। जिसके कारण यहां भालुओं को भोजन की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। अब भालू भोजन की तलाश में रिहायशी बस्ती की ओर रुख करने लगे हैं इसके कारण लोगों में दशहत का माहौल है।
आक्सीवन में भी भालुओं का डेरा
शहर से लगे गोविंदपुर गांव में वन विभाग ने ऑक्सीवन बनाया है। यह ऑक्सीवन अब भालुओं का आवास बन चुका है। आक्सीवन और ठेलकाबोर्ड स्थित जामवंत परियोजना का क्षेत्र भालुओं के आवास और प्रजनन के अनुकुल है। इन जगहों पर भालुओं की संख्या इतनी अधिक हो गई है कि वन विभाग ने यहां लोगों को सतर्क रहने के लिए बोर्ड भी लगा है।