टीकमगढ़। सम्मान से प्रोत्साहन मिलता है। सम्मान से कुछ अलग करने की सोच जागृत होती है। ..पर टीकमगढ़ में इसके विपरीत काम हो रहा है। कोरोना काल में जी-जान लगाने वाले चिकित्सक की उपेक्षा करने का मामला सामने आया है।
जिला प्रशासन पर आज एक डॉक्टर ने सम्मान समारोह में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया है। गणतंत्र दिवस के अवसर पर जिला प्रशासन द्वारा कोरोना काल में मेहनत करने वालों को नहीं बल्कि अपने चहेतों का सम्मान किया गया है। अपमानित महसूस कर रहे एक चिकित्सक ने बेहतरीन कार्य करने वालों की उपेक्षा की बात कही है।
इस मामले में जिला अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर अनुज रावत का दर्द छलक कर सामने आया है। उनका कहना है कि उन्होंने कोरोना की तीसरी लहर में जी-जान लगाकर मेहनत की थी। अपनी जान की परवाह किए बगैर लोगों की जान बचाई। इसके बाद भी उनको पुलिस परेड ग्राउंड में आयोजित समारोह में सम्मानित नहीं किया गया, जिससे उनको दुख हुआ है। आरोप लगाया कि जिला प्रशासन ने अपने चहेतों को ही सम्मानित किया है।
बता दें कि 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के मौके पर को जिला प्रशासन ने पुलिस परेड ग्राउंड पर समारोह का आयोजन किया। जहां कोरोना काल में बेहतरीन कार्य करने वाले डॉक्टरों सहित तमाम लोगों को सम्मानित किया गया। वहीं डॉक्टर अनुज रावत को नजरअंदाज कर उनका माखौल उड़ाया गया। डॉक्टर रावत ने अपनी पत्नी और बच्चे की जान की परवाह न करते हुये अपनी पत्नी का बेड कोविड मरीज को देकर उसकी जान बचाई थी।
अपनी पीड़ा बताते हुए डॉक्टर ने कहा कि पत्नी की डिलिवरी होनी थी और वह संक्रमित हो गई थी। वे जिला अस्पताल में भर्ती थी फिर भी उन्होंने रात-दिन मेहनत कर लोगों की जान बचाई और अपनी पत्नी का पलंग दूसरे मरीज को देकर अपना फर्ज निभाया था। फिर भी जिला प्रशासन ने आज उनकी उपेक्षा की है।
(TNS)