रायपुर। नवा रायपुर में पिछले 15 दिनों से आंदोलनरत किसानों की राज्य सरकार सुध नहीं ले रही है। स्थानीय विधायक और मंत्री के साथ किसानों की वार्ता भी विफल रही। अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे किसान सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रहे है। प्रदर्शन के 15वें दिन कई संगठन के लोग धरना स्थल में पहुंचे और उन संगठन के नेताओं ने सरकार को आड़े हाथ लिया।
शनिवार को प्रदर्शन के दौरान राष्ट्रवादी मंच टीम हल्लाबोल के प्रदेश संयोजक प्रमोद सिंह ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के तथाकथित किसानों के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सर के बल दौड़ के लखीमपुर खीरी पहुंच गए थे। लेकिन छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर में पिछले तीन जनवरी से धरने पर बैठे किसानों की आवाज उनके कानों तक नहीं पहुंच रही है।
किसान नेता रूपन लाल चंद्राकर ने कहा कि जब छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ था तब नई राजधानी बनाने के लिए नया रायपुर में किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई थी,ले किन उस वक्त वहां के किसानों के साथ न्याय नहीं हो पाया था। उन्हें वो सब सरकारी मदद नहीं मिली थी जिसके वो हकदार थे। इसलिए अपनी मांगों को लेकर किसान नई राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति के बैनर तले अपने मांगों को लेकर धरने पर बैठ है।
पांच प्रमुख मांगों को लेकर किसान कर रहे आंदोलन
प्रदर्शनकारी किसान नेताओं का कहना है कि नवा रायपुर में किसान अपनी पांच प्रमुख मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे है। यही किसान जब भाजपा शासन के वक्त आंदोलन कर रहे थे तब आंदोलन में वर्तमान मंत्री रुद्र कुमार गुरु और स्वयं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बढ़ चढ़कर के हिस्सा लिया था, लेकिन जब आज खुद उनकी सत्ता है तो उन्हें वही किसान दिखाई नहीं दे रहे।
प्रभावित किसानों की प्रमुख मांग
– उस क्षेत्र के संपूर्ण किसानों को बसाहट के लिए जमीन के स्थाई पट्टे दिए जाए।
– नई राजधानी की वजह से भूमिहीन हो चुके किसानों को 1200 वर्ग फिट जमीन दी जाए।
– जिनकी जमीन अधिग्रहित की गई थी उनके पुनर्वास की उचित व्यवस्था की जाए।
– प्रभावित किसानों के रोजगार की व्यवस्था की जाए।
– कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में 4 गुना मुआवजा देने की घोषणा की थी,उसको लागू किया जाए।