BILASPUR.छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने शनिवार को घरौंदा सेंटर्स में भूख से बच्चों के मौत होने के मामले में जनहित याचिका की सुनवाई की। जिसमें उन्होंने 11 महीने पहले नियुक्त किए कोर्ट कमिश्नरों को रिपोर्ट पेश करने के लिए अतिरिक्त समय दिया। साथ सभी कोर्ट कमिश्नरों का नाम काज लिस्ट भी जारी करने कहा।
बता दें, रायपुर के कोपलवाणी मामले में वित्त और समाज कल्याण विभाग के सचिवों के साथ ही मुख्य सचिव ने शपथ पत्र पेश करके घरौंदा सेंटर्स बच्चों के बारे में जानकारी दी थी। जिसमें कहा गया था कि तीन साल में शासन ने 9 करोड़ रूपये बच्चों पर खर्च किए है। सभी 11 कोर्ट कमिश्नरों को चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने प्रदेश के सभी घरौंदा सेंटरों की जांच करने के बाद रिपोर्ट पेश करने कहा था।
जिसमें से कुछ ने अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है। जबकि कुछ ने अभी तक रिपोर्ट पेश नहीं किया है। कोर्ट कमिश्नरों में एडवोकेट विवके श्रीवास्तव, अपूर्व त्रिपाठी, संघर्ष पांडेय, सूर्या कंवलकर डांगी, शिवाली दुबे, अदिति सिंघवी, ईश्वर जायसवाल के नाम शामिल है। इन सभी को शासन और केन्द्र शासन की योजनाओं के तहत संचालित घरौंदा सेंटर्स का निरीक्षण कर रिपोर्ट पेश करने निर्देशित किया गया था।
रायपुर की संस्था ने लगाई थी जनहित याचिका
रायपुर की संस्था कोपलवाणी ने कोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई थी। जिसमें कहा गया था कि पिछले कुछ सालों में एनजीओ की मदद से बच्चों के लिए चलाए जा रही संस्था घरौंदा में बच्चों की भूखमरी से मौत हो रही हे। इस मामले में कोर्ट ने शासन से जवाब तलब किया था। जिस पर कोई को बताया गया था कि इन संस्थानों में शासन ने 3 सालों में 9 करोड़ रूपये खर्च किए है।
भूखमरी से 8 बच्चों की हुई थी मौत
रायपुर स्थित एनजीओ में करोड़ों के शासकीय अनुदान के बाद भी भूखमरी से बच्चों की मौत हुई थी। इस मामले में संस्था कोपलवाणी ने पहले ही राज्य के बड़े प्रशासनिक अफसरों से लिखित शिकायत की थी। जिसके बाद घरौंदा योजना शुरू की गई। इसके तहत पीतांबरा संस्था समेत 4 संस्थाओं को 9 करोड़ 76 लाख रूपये दिए गए थे। इसमें से पीतांबरा और कुछ अन्य संस्थाओं में 2014 से लेकर अब तक अलग-अलग 8 बच्चों की मौत हो चुकी है।