BILASPUR NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 31 साल पुराने अंधविश्वास और डायन बताकर की गई हत्या के मामले में बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए बरी किए जाने के फैसले को पलटते हुए सभी आरोपियों को हत्या का दोषी करार दिया और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर की गवाही न आने मात्र से किसी आरोपी को बरी नहीं किया जा सकता, क्योंकि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 32(2) के तहत पोस्टमार्टम रिपोर्ट अन्य सबूतों के साथ स्वीकार्य है।

महासमुंद जिले के बनियाटोरा गांव में युवक रतन के ऊपर गांव के कुछ लोगों ने भूत-प्रेत का साया होने और उसकी पत्नी व बहू को ‘डायन’ होने का आरोप लगाया था। अंधविश्वास के नाम पर ग्रामीणों ने युवक और उसके परिवार के साथ झाड़-फूंक की। अगले ही दिन हथियारबंद भीड़ रतन के घर जा पहुंची। परिजनों की बेरहमी से पिटाई के बाद भीड़ ने युवक को घसीटकर खेत में ले जाकर मार डाला।

चश्मदीद गवाह मजबूत थे
घटना में घायल हुए मृतक की पत्नी, बेटा और पिता सभी ने अदालत में गवाही दी कि 10 से अधिक आरोपी हथियारों के साथ आए थे और हत्या की नीयत साफ थी। जांच में बरामद हथियारों पर खून के धब्बे भी पाए गए थे।

ट्रायल कोर्ट की गलती सुधारी
इसके बावजूद ट्रायल कोर्ट ने सिर्फ इसलिए आरोपियों को बरी कर दिया कि पोस्टमार्टम करने वाला डॉक्टर कोर्ट में पेश नहीं हुआ था। हाईकोर्ट ने इसे कानूनी भूल बताते हुए कहा —डॉक्टर की गवाही न होना हत्या को नकारने का आधार नहीं। अन्य साक्ष्य पर्याप्त और विश्वसनीय हैं।
सजा और आदेश
हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को धारा 302/149 के तहत दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है।
साथ ही आदेश दिया है कि सभी आरोपी एक महीने के भीतर कोर्ट में सरेंडर करें, अन्यथा पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजे।

फैसले का महत्व
यह फैसला न केवल न्यायिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज में व्याप्त अंधविश्वास और ‘डायन’ कहकर की जाने वाली हिंसा पर सख्त संदेश माना जा रहा है।


































