BILASPUR NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में सीजी सिविल जज मेंस परीक्षा 2023 के नियमों में बदलाव के खिलाफ याचिका दायर की। हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई जस्टिस राकेश मोहन पांडेय के बेंच में हुई। कोर्ट ने इससे जुड़े सभी मामलों की सुनवाई एक साथ की। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान फैसले में कहा कि ओएमआर में दर्ज नियमों को कानून की शक्ति प्राप्त है। इसमें किसी तरह की अनदेखी लापरवाही मानी जाएगी। हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।
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बता दें, सीजीपीएससीज ने क्रम से उत्तर नहीं लिखने के कारण याचिकाकर्ताओं की कापी का मूल्यांकन नहीं किया है। ओएमआर में दी गई शर्तों का याचिकाकर्ताओं ने पालन नहीं किया है। सिविल जज मुख्य परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का सीजीपीएससी द्वारा मूल्यांकन ना किए जाने के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं की एक साथ सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का आरोप उचित नहीं है। प्रक्रिया के बीच में नियमों में बदलाव नहीं किया गया है।
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सिंगल बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि ओएमआर शीट में दिए गए नियम कानून की शक्ति रखता है। परीक्षार्थियों को ओएमआर शीट में दिए एग नियमों व शर्तों का अध्ययन करना था। जिन शर्तों के आधार पर परीक्षा का संचालन किया जा रहा है उसे तो पूरा करना ही पड़ेंगा। याचिकाकर्ताओं ने ओएमआर शीट में दिए गए नियमों का व शर्तों की अनदेखी की है इसलिए उन्हें राहत नहीं दी जा सकती है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने सभी याचिका को खारिज कर दिया।
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क्या है पूरा मामला समझे
सीजीपीएससी ने सिविल जज के 49 पदों के लिए 3 सितंबर 2023 को प्रारंभिक परीक्षा ली थी। इसमें 542 परीक्षार्थियों का चयन मेंस के लिए हुआ। फिर 25 अगस्त 2024 को मुख्य परीक्षा का आयोजन किया गया था। मेंस परीक्षा का रिजल्ट के बाद परीक्षार्थियों ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि सीजीपीएससी ने बिना किसी पूर्व सूचना के मेंस परीक्षा में नियमों में बदलाव कर दिया है। याचिकाकर्ताओं ने यह भी बताया कि परीक्षा केन्द्र में ऑब्जर्वर ने भी मेंस परीक्षा के लिए सीजीपीएससी के किए गए बदलाव की जानकारी नहीं दी। परीक्षा शुरू होने से ठीक पहले प्रश्न पत्रों का वितरण किया गया। जल्दबाजी में उन्होंने उत्तर लिखना शुरू कर दिया। इसी वजह से क्रम से लिखने के बजाए जो जवाब सही से आ रहे थे उन्हें ही पहले लिखना शुरू कर दिया।