JASHPUR NEWS. धर्म परिवर्तन के बाद नौकरी के लिए हिंदू होने का दावा सही नहीं होने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने ईसाई महिला की याचिका पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए उसे अनुसूचित जाति का सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया। वहीं जशपुर जिले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ईसाई समुदाय के नेता, आदिवासी समाज और जनजाति सुरक्षा मंच ने अपनी अपनी प्रतिक्रिया दी है।
इस मामले की जानकारी में आदिवासी हिंदू समाज के क्षेत्रीय अध्यक्ष गोपी साय ने कहा कि जो आदिवासी समाज में हैं, उन्हें आरक्षण का लाभ दिया जाए एवं जो आदिवासी हिंदू समाज को छोड़कर ईसाई समाज में जा रहा है उसे आरक्षण का लाभ नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय बहुत ही सही निर्णय है ।
उनका कहना है यदि आदिवासी समुदाय के लोग ईसाई धर्म अपनाते हैं तो उन्हें जाति प्रमाण पत्र नहीं दिया जाना चाहिए । हमारा समाज का सदैव ईसाई समाज के लोगों ने विरोध किया लेकिन हम अपनी मांग को हमेशा उठाते रहे और आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना निर्णय देकर यह बताया है कि धर्मांतरण करने वालों को आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए ।
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वहीं जनजाति सुरक्षा मंच के जिला अध्यक्ष करुणा भगत ने बताया कि जो लोग रूडी संस्कृति परंपरा को छोड़ दिए हैं और धर्मांतरण कर लिए उनका जाति प्रमाण पत्र नहीं बनना चाहिए एवं आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए। जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत कुछ वर्षों से लगातार इसकी मांग कर रहे हैं और डी लिस्टिंग का मुद्दा जशपुर से शुरू होकर पूरे देश में डी लिस्टिंग की मांग गूंज रही है ।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने धर्मांतरण के खिलाफ आज बड़ा फैसला सुनाया है जिसका हम धन्यवाद करते हैं । जो नियम अनुसूचित जाति के लिए लागू हुआ है, वही नियम अनुसूचित जनजाति के लिए भी लागू होना चाहिए ।
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ईसाई समाज के क्षेत्रीय नेता अजय तिर्की ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने महिला को जो निर्णय दिया है कि यदि आप आरक्षण के लिए धर्म ग्रहण करती हो तो आपको आरक्षण नहीं दिया जाएगा । क्योंकि वह महिला एससी समाज की थी और उन्होंने ईसाई धर्म को ग्रहण किया था एवं यदि लोग ईसाई धर्म को ग्रहण करते हैं तो उनका आरक्षण स्वत समाप्त हो जाता है। इसीलिए वह महिला जाति प्रमाण पत्र के लिए हिंदू धर्म लिखी थी जबकि वह महिला हिंदू धर्म ग्रहण नहीं की थी। जिसका अध्ययन करने के बाद सुप्रीम कोर्ट को यह मालूम हुआ कि जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए ही महिला के द्वारा सर्टिफिकेट में हिंदू धर्म लिखवाया गया था।