RAIPUR. बीएड डिग्रीधारी सहायक शिक्षकों की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त करने का एक बार फिर से आदेश जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के निर्णय को सही ठहराया है। हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में एसएपी और रिव्यू पिटीशन को खारिज कर दिया है। इसके बाद ही एक बार फिर से उनके नौकरी को खतरा है।
बता दें, राज्य शासन की नियुक्तियों को चुनौती देते हुए डिप्लोमाधारी उम्मीदवारों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी बीएड डिग्रीधारियों को सहायक शिक्षक पद पर नियुक्ति दी गई है। जो अवैधानिक है।
विभाग की ओर से पहला नियुक्ति पत्र 20 सितंबर 2023 के बाद दिया गया जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को इस मामले में फैसला दिया था। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सहायक शिक्षक पद पर केवल डिप्लोमाधारियों का अधिकार है।
इसमें बीएड वाले अवैध रूप से नौकरी कर रहे है। हाईकोर्ट ने 2 अप्रैल को मामले की सुनवाई करते हुए 6 सप्ताह के भीतर बीएड डिग्रीधारकों को सहायक शिक्षक के पद से बाहर करने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की रिव्यू पिटीशन
बीते 28 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने रिव्यू पिटीशन को खारिज कर दिया था। जबकि राज्य शासन और बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों की एसएलपी पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस पंकज मिथल की बेंच ने सभी एसएलपी को खारिज कर दिया है।
साथ ही छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले को सही माना है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेषन ने 4 सितंबर 2023 को सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को बीएड उम्मीदवारों की योग्यता को प्राइमरी स्कूलों के लिए अवैध माना है।