BHILAI NEWS. हमें सदा संत, गुरुजनों के बताए हुए मार्ग पर चलना चाहिए, क्योंकि यदि हमें परमात्मा की प्राप्ति करना है तो संत गुरु ही बीच की कड़ी हैं जो हमें परमात्मा से मिला सकते हैं। जिस प्रकार नारद जी के उपदेश और आशीर्वाद से ध्रुव और प्रहलाद को भगवत प्राप्ति हो गईं। यह कथन कथावाचक डॉ.श्याम सुंदर पाराशर ने हनुमान मंदिन सेक्टर-2 में चल रही श्रीमद भागवत महापुराण कथा के चतुर्थ दिवस कहीं।
बता दें, पितृ पक्ष के अवसर पर भिलाई के सेक्टर-2 स्थित हनुमान मंदिर में श्रीमद भागवत महापुराण कथा का आयोजन किया गया है। यहां पर वृंदावन धाम से आए कथावचक डॉ.श्याम सुंदर पाराशर भगवत की महिमा व श्री हरि की कथा अपने सुमधुर वाणी से सुना रहे हैं।
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कथा के चतुर्थ दिवस भक्त प्रहलाद व ध्रुव की कथा का वर्णन किया गया। उन्होंने कहा कि संतों का लक्षण का वर्णन करते हुए कहा पञ्च लक्षण जिसमें हो उसी को संत समझो संत तितिक्षु होता है। सहनशील संत में करुणा बहुत ही होती है सभी देहधारियों में अपने परमात्मा को देखते हैं उनका कोई शत्रु नहीं होता है साधु हमेशा शांत स्वभाव में रहते हैं जिस प्रकार जीवात्मा और परमात्मा के बीच संत सेतु का कार्य करते हैं।
आगे वर्णन करते हुए कहा वस्तु शक्ति ज्ञान की अपेक्षा नहीं करती है जैसे हम भगवान का नाम जानकर ले या अनजाने में तो वह नाम हमारा कल्याण करके ही रहेगा जैसे करंट को या आग को जानकर छुए या अनजाने में वह तो जलाएगा ही इसलिए निरंतर भगवान के नाम का उच्चारण करते रहना चाहिए भगवान का एक नाम ही जीवन के समस्त पापों को भस्म कर देता है परंतु पुनः कोई पाप ना बने तो एक ही नाम हमारा कल्याण कर सकता है जिस प्रकार अजामिल ने अपने पुत्र नारायण दत्त को पुकारा तो एक नाम ने ही उसका कल्याण कर दिया ।
एक नारायण कवच की महिमा का वर्णन करते हुए महाराज जी ने कहा भागवत का नारायण कवच नित्य पाठ करने से कवच की तरह हमारी रक्षा करते हैं भगवान की भक्ति करने के लिए हृदय में विश्वास होना चाहिए आप किसी भी समाज जाति से क्यों ना हो जैसे रहीम खान, रैदास भक्त,शबरी यह किसी श्रेष्ठ वंश से नहीं थे प्रहलाद जी तो राक्षस कुल में पैदा हुए पर इन सब ने भगवान को अपने भाव प्रेम से प्रसन्न करके उनका सामिप्य प्राप्त किया गजराज तो पशु योनि में पैदा हुआ पर उसकी स्थिति पर भगवान भाग कर आकर उसका उद्धार किया।
आगे पाराशर जी महाराज ने कहा यदि हम दान करना चाहते हैं तो राजा बलि की तरह करना चाहिए जिसने मांगने पर अपने आप को दान कर दिया और उसी से बलिदान प्रसिद्ध हो गया हमारे दो ग्रंथ है भागवत जी जिसमें कृष्ण कथा और रामायण में राम कथा का वर्णन है ।
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भगवान ने दोनों अवतार राम और कृष्ण के रूप में आकर हमें मार्गदर्शन दिया राम जी ने जो किया वह सभी हमें करना चाहिए और जीवन जीने की कला राम जी से सीखना चाहिए पर कृष्ण भगवान ने जो कहा है वही करना चाहिए क्योंकि भागवत कथा हमें मरना सिखाती है कृष्ण चरित से हमें अपना अंत सुधारना चाहिए कथा में नंद महोत्सव धूमधाम से मनाया गया।