BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में लिव इन रिलेशनशिप से जन्म हुए बच्चे का संरक्षण हासिल करने के लिए याचिका दायर की गई। याचिका की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी एवं जस्टिस संजय एस अग्रवाल की बेंच में हुई। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि समाज के कुछ वर्ग में लिव इन रिलेशनशिप का पालन किया जाता है। जो भारतीय संस्कृति में अभी भी कलंक के रूप में जारी है क्योंकि लिव इन रिलेशनशिप एक आयातित दर्शन है। जो भारतीय सिद्धांतों के सामान्य अपेक्षाओं के विपरीत है।
बता दें, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में लिव इन रिलेशनशिप से जन्म हुए बच्चे का संरक्षण प्राप्त करने के लिए याचिका दायर की गई थी। मामला बस्तर क्षेत्र निवासी मुस्लिम रीति को मानने वाला विवाहित व तीन बच्चों का पिता उसने हिन्दू लड़की के साथ लिव इन रिलेशनशिप में था।
युवती के गर्भवती होने पर उसने 2021 में कथित रूप से शादी कर ली। अगस्त 2021 में इस रिश्ते से बच्चे का जन्म हुआ।
बच्चे के जन्म होने के कुछ दिन बाद लड़की बच्चे को लेकर अपने माता-पिता के घर चली गई। इस पर पति ने पहले पत्नी को बंधक बनाए जाने की बात कहते हुए याचिका पेश की।
विवाह को साबित नही कर पाने पर याचिका खारिज हो गई। इसके बाद उसने बच्चे का संरक्षण प्राप्त करने के लिए अपील प्रस्तुत की थी।
कोर्ट ने पहली पत्नी से तीन बच्चे होने व लड़की के अपने बच्चे का पालन पोषण करने में सक्षम होने पर अपील को खारिज कर दिया है।
मुस्लिम लॉ का दिया हवाला
याचिकाकर्ता ने कोर्ट के सामने विवाह को साबित करने के लिए मुस्लिम लॉ का हवाला दिया था। उसने कहा कि मुस्लिम लॉ में चार शादी की अनुमति है।
तब कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम लॉ की बात कहते हैं तो यह लॉ तो यह मुस्लिम रीति को मानने वालों के बीच होना चाहिए। मामले में दूसरा पक्ष हिन्दू है और उसने अपना धर्म नहीं बदला है।