BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्कूलों में भृत्यों और अन्य चतुर्थ वर्ग कर्मियों की नियुक्ति नहीं किए जाने पर कोर्ट ने स्वयं संज्ञान लिया है। कोर्ट ने मामले पर संज्ञान लेते हुए सुनवाई की। सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा के बेंच में हुई। उन्होंने स्कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी से शपथ पत्र में जवाब मांगा था। राज्य शासन की ओर से जवाब में शपथ पत्र पेश भी किया। कोर्ट ने शपथ पत्र को पढ़ने के बाद केन्द्र सरकार के द्वारा आबंटित राशि का हिसाब नहीं होने की बात कही। अगली सुनवाई में हिसाब देने निर्देश दिया है।
बता दें, स्कूलों में भृत्य व अन्य चतुर्थ वर्ग कर्मियों की नियुक्ति नहीं होने के कारण शिक्षकों को ही चतुर्थ वर्ग कर्मियों का काम भी करना पड़ता है। स्कूल में घंटी बजाने का काम भी शिक्षक ही करते हैं।
इस तरह की परेशानी की खबरो को पढ़कर कोर्ट ने मामले में स्वयं संज्ञान लिया। इसकी सुनवाई में पहले भृत्य व अन्य चतुर्थ वर्ग कर्मियों की नियुक्ति नहीं होने पर जानकारी मांगी गई थी।
आखिर क्या समस्या है और क्यों भर्ती नहीं की जा रही है। राज्य शासन ने जवाब भी पेश किया। लेकिन कोई राज्य शासन के जवाब से संतुष्ट नहीं है और इस वजह से कोर्ट ने केन्द्र सरकार के द्वारा आबंटित राशि का भी हिसाब मांगा है।
केन्द्र ने आबंटित की 218 स्कूलों के लिए राशि
राज्य सरकार ने कोर्ट को फंड के संबंध में कोई विवरण नहीं दिया। केन्द्र सरकार ने राज्य के 218 स्कूल स्थापित किए और उनके लिए फंड दिया था।
इनमें से 98 स्कूल बिलासपुर जिले में है। वहीं इन स्कूलों में भृत्य व चतुर्थ वर्ग कर्मियों के 3052 पद स्वीकृत है लेकिन इनकी नियुक्ति नहीं की जा रही है।
तीन सप्ताह का दिया है समय
कोर्ट ने केन्द्र सरकार के आबंटित राशि व स्वीकृत पदों के संबंध में विस्तृत जानकारी मांगी है। शिक्षा के लिए बेहतर कार्य करने के उद्देश्य से शिक्षक से लेकर अन्य पदों पर भर्ती किया जाता है, लेकिन स्कूल में शिक्षक तो है लेकिन भृत्य के पद रिक्त है।
जिससे स्कूल में शिक्षकों को परेशानी होती है। कोर्ट ने राज्य सरकार को इस विषय में जानकारी देने के लिए 3 सप्ताह का समय दिया है।