RAIPUR. छत्तीसगढ़ में यात्रियों को सुरक्षित गंतव्य तक पहुंचाने वाली परिवहन सेवा बदहाली का शिकार है। निर्धारित अवधि पूरा कर चुकीं बसें यात्रियों को बैठाकर सड़क पर फर्राटा भर रही हैं, लेकिन जिम्मेदार हैं कि नींद से जागना ही नहीं चाहते।
दुर्ग जिले के साथ प्रदेश की सड़कों पर दौड़ने वाली खटारा बसों में नियमों का पालन नहीं हो रहा है। कंडम बसों का उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। इन बसों में न तो इमरजेंसी खिड़की है और न ही दूसरा गेट…। कुम्हारी में हुआ हादसा भी इसका एक जीता जागता उदाहरण है।
मंगलवार की रात दुर्ग जिले के कुम्हारी में केडिया डिस्टिलरी स्टाफ बस हादसे का शिकार हो गई। बस के खाई में गिरने से 12 जिंदगी खत्म हो गई। 15 लोग गंभीर रूप से घायल हैं, जिनका इलाज अस्पतालों में चल रहा है। इतना बड़ा हादसा होने के बाद प्रशासनिक अफसर और नेता सिर्फ जांच की बात कह रहे हैं।
अव्यवस्था की ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा। दुर्ग और रायपुर जिले की कई कंपनियों की बसें अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं, लेकिन उसमें भी स्टाफ ढोने का काम किया जा रहा है। स्टाफ अपनी जान जोखिम में डालकर कंपनी की बसों में सफर करते हैं। बस मापदंड के अनुरूप है कि नहीं यह देखने वाला भी कोई नहीं है।
दस्तावेजों के साथ तीरंदाज तक एक सूचना पहुंची है, जिसने व्यवस्था की पोल ही खोल दी। दुर्ग और रायपुर जिले की बड़ी-बड़ी कंपनियों में अटैच कुछ बसों की डिटेल ने यह साबित कर दिया कि परिवहन विभाग बिल्कुल नींद में है या फिर लेन-देन कर कंडम बसों को परमिट जारी किया गया है। एक बड़ी कंपनी में स्टाफ के आने-जाने के लिए जिन बसों का उपयोग किया जा रहा है, वह सभी बसें ना ही स्टाफ बस हैं और ना ही सुरक्षा की दृष्टि से सही हैं।
बसों का स्टाफ परमिट ईशु किया जाता है
ये कंपनी अपने स्टाफ को लाने और ले जाने के लिए 10 से 15 साल पुरानी स्कूल बस और अन्य बसों का उपयोग कर रही है। परिवहन विभाग के अफसर भी इस कंपनी पर मेहरबान हैं। मोटर व्हीकल एक्ट के तहत स्टाफ बसों के चलाने और स्टाफ की सुरक्षा के लिए अलग-अलग नियम कायदे हैं।
नामचीन कंपनी में अटैच कई बसों में ना तो स्टाफ परमिट है और ना ही कई बसों का फिटनेस है, लेकिन कंपनियों में ऐसी बसें धड़ल्ले से चल रही हैं। बसों को शासन द्वारा स्टाफ परमिट ईशु किया जाता है, जो प्राइवेट सर्विस व्हीकल के नाम से रजिस्टर्ड होता है, जिसका तिमाही टैक्स 450 से 600 रुपये तक प्रति सीट हर तिमाही में होता है। इस टैक्स की भी चोरी बस ऑपरेटरों कर रहे हैं।
प्रदेश में नहीं हो रहा नियमों का पालन
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 15 वर्ष पुरानी बस को नहीं चलाने, डबल गेट, इमरजेंसी गेट, अग्निशमक यंत्र, किराया सूची, फिटनेस जांच, पिछले कांच से जाली हटाना, फस्ट एड बॉक्स, कांच पर परमिट, बीमा, रूट की जानकारी लिखना, बस कर्मचारियों पर ड्रेस कोड का आदेश है। परिवहन विभाग के आदेश के बावजूद न तो बस में नियम लागू हुए और न ही परिवहन विभाग द्वारा कार्रवाई की जा रही है। विभागीय लापरवाही के कारण कई खटारा व अनफिट बसें बिना परमिट सड़कों पर दौड़ रही हैं।
बसों के डबल डोर बन गए सिर्फ दिखावा
प्रदेश की सड़कों पर दौड़ रही निजी बसें, कारखानों में चल रही बसों की नियमित जांच नहीं होती। जिन संचालकों ने अपनी बसों में दो दरवाजे लगाए हैं, वह मात्र दिखावा हैं। अधिकतर बसों में पीछे की तरफ दरवाजे के स्थान पर कट तो लगा दिया है, लेकिन उस जगह पर अभी भी सीट लगी हुई हैं। अधिकतर बसें बिना डबल डोर के चल रही हैं। इन बसों के खिलाफ न तो अधिकारी कार्रवाई कर रहे हैं और न ही शासन स्तर पर कोई निर्णय लिया जा रहा है।