BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में प्रदेश सरकार की श्रीराम लला दर्शन यात्रा के खिलाफ याचिका दायर की गई है। याचिका में योजना को धर्म निरपेक्षता सिद्धांत के विपरीत बताया गया है। याचिका के माध्यम से इस योजना को बंद करने की मांग की है। सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल के डिवीजन बेंच में हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
बता दें, छत्तीसगढ़ सरकार ने श्रीराम लला दर्शन योजना की शुरूआत की है। जिसमें प्रत्येक माह प्रत्येक 850 लोगों को अयोध्या धाम श्रीराम मंदिर के दर्शन कराने का फैसला है। इस योजना के तहत यात्रा के लिए स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है।
इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता लखन सुबोध ने याचिका में इसे संविधान में दिए गए प्रावधानों के खिलाफ बताया है। भारत एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है।
रामलला दर्शन योजना संविधान में निहित बातों और शर्तों के विपरीत है। इसलिए इस योजना को बंद करने के लिए राज्य शासन को आदेशित करने का आग्रह किया है।
इस मामले की सुनवाई के दौरान राज्य शासन की तरफ से कहा गया कि यह राज्य सरकार का नीतिगत फैसला है जिस पर हाईकोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता। राम लला दर्शन योजना राज्य सरकार की कैबिनेट का फैसला है।
धर्म या जाति के आधार पर नहीं है ये योजना
हाईकोर्ट में राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता ने कहा कि रामलला दर्शन योजना किसी धर्म या जाति के आधार पर शुरू नहीं की गई है। यह योजना किसी धर्म या जाति के आधार पर फर्क भी नहीं करती है।
यह प्रदेशवासियों के भ्रमण के लिए है। प्रदेश के उन गरीबों के लिए यह योजना लाभदायक है जो आर्थिक रूप से कमजोर है और धार्मिक यात्रा पर नहीं जा पाते है। योजना के तहत वे मुफ्त में अयोध्या पहुंच जाएंगे और रामलला के दर्शन कर वापस आएंगे।