BILASPUR. लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग के निर्देश पर बड़े पैमाने में कर्मचारियों और अधिकारियों के तबादले किए गए। इसके बाद दायरे में नहीं आ रहे लोगों ने इस तबादला आदेश के खिलाफ याचिका लगा दी। सुनवाई के दौरान राज्य शासन ने हाई कोर्ट में कहा कि चुनाव आयोग के निर्देश के आधार पर तहसीलदार, नायब तहसीलदार, सहायक अधीक्षक भू अभिलेख और सीईओ के तबादलों पर हम आदेश वापस ले रहे हैं।
दरअसल, जस्टिस नरेंद्र व्यास की बेंच में मामले की सुनवाई हुई। इसमें शासन की ओर से कहा गया कि वे अधिकारियों को रिलीव नहीं कर रहे। मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी। लोकसभा चुनाव के पूर्व आयोग के निर्देश पर जो तबादले हुए थे, उसे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
जस्टिस व्यास की बेंच में मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि वे जो दायरे में नहीं आते, उनका भी तबादला किया गया है। इस मामले में चुनाव आयोग के साथ-साथ शासन की ओर से भी स्वीकार किया गया कि वे आदेश वापस लेंगे। कुछ ऐसे मामले भी थे, जिनका रिटायरमेंट 6 महीने बचे हैं, फिर भी तबादला किया गया।
हाई कोर्ट में केस लगने के बाद कुछ लोगों को रिलीव कर दिया गया था। शासन की ओर से रिलीव नहीं करने के साथ ही जिन्हें रिलीव कर दिया गया है, उनके आदेश में भी संशोधन करने की जानकारी दी गई। जस्टिस व्यास की बेंच ने कहा कि शुक्रवार को जब सारे आदेश मिल जाएंगे, तब मामले की सुनवाई करेंगे।
बता दें कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर प्रशासनिक अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर चुनाव आयोग ने बड़ा कदम उठा लिया है, ताकि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराए जा सकें। निर्वाचन आयोग ने सभी राज्य सरकारों से मौजूदा निर्देशों में मौजूद खामियों में सुधार करते हुए निर्देश दिया है कि जिन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में एक जिले में दो संसदीय निर्वाचन क्षेत्र शामिल हैं।
वहीं, जो संसदीय क्षेत्र दो जिलों में आता है वहां राज्य यह सुनिश्चित करेंगे कि वहां तीन साल रह चुके अधिकारियों को जिले और निर्वाचन क्षेत्र से बाहर ही स्थानांतरित किया जाए। यानी उन्हें उसी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में तैनात नहीं किया जाए।