BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में 10 साल बाद शहीद की पत्नी को न्याय मिला है। 17 साल पहले बस्तर कार्यरत पुलिसकर्मी शहीद हुए उनके एक बच्चे की फीस पुलिस विभाग ने दी। विभाग ने 30 हजार रुपये दिया। कुछ समय बाद ही राशि की रिकवरी के आदेश जारी कर दिया। इसके लिए वर्ष 2014 में शहीद की पत्नी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस गौतम भादुड़ी की बेंच ने फीस की रिकवरी आदेश को निरस्त कर दिया। साथ ही बीमा कंपनी को एक साल का ब्याज देने के लिए कहा है।
बता दें, बिलासपुर के वेयर हाउस रोड में रहने वाले पुलिसकर्मी विजय कुमार बस्तर में नक्सलियों से संघर्ष में शहीद हो गए थे। 2 नवंबर 2007 को नक्सलियों के एंबुश में विजय समेत कुल 10 पुलिस कर्मियों की जान चली गई थी। विजय की मौत के तीन माह बाद उसकी पत्नी अर्चना शुक्ल ने बच्चे को जन्म दिया।
बीमा कंपनी ने क्लेम की राशि देने में न सिर्फ एक साल दे की, बल्कि ब्याज देने से इनकार कर दिया। ऐसे में शहीद की पत्नी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और याचिका दायर की। हाईकोर्ट में 10 साल के बाद याचिकाकर्ता शहीद की पत्नी को न्याय मिला।
कोर्ट ने कहा असंवेदनशीलता मंजूर नहीं
हाईकोर्ट ने फैसला याचिकाकर्ता के पक्ष में सुनाया। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में जवान ने नक्सलियों से लड़ते हुए शहादत दी। इस वजह से आम लोग सुरक्षित है। ऐसे मामलों में बीमा कंपनियों की असंवेदनशीलता मंजूर नहीं की जा सकती। बीमा कंपनियों को ऐसे मामलों में संवेदनशील होने की जरूरत है।
पुलिस विभाग ने 27 जनवारी 2011 को सर्कुलर जारी किया था। इसके तत शहीद जवानों के बच्चों की फीसर की रसीद जमा करने के बाद रकम का भुगतान किया जाना था। जवान की पत्नी को रसीद के आधार पर 18900 और 22800 रुपये का भुगतान कर दिया गया। 26 अगस्त 2013 को विभाग ने रकम की रिकवरी के आदेश जारी कर दिए।
एक साल देर से दी क्लेम राशि
शहीद की पत्नी ने याचिका में बताया कि वभाग ने ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी कोलकाता ग्रुप इंश्योरोंस करवाया था। जवानों की शहादत के बाद विभाग ने बीमा राशि के भुगतान के लिए पत्र लिख। इस दौरान बताया गया कि जवान का नाम गलती से विजय कुमार की जगह विनोद कुमार शुक्ला हो गया था।
इसे बाद में दुरुस्त कर लिया गया। इसके बाद करीब एक साल की देरी से 12 नवंबर 2008 को रकम विभाग को प्राप्त हुई। जो जवान की पत्नी को 27 जनवरी 2009 को मिली। एक साल की अवधि का ब्याज देने से बीमा कंपनी ने इनकार कर दिया था।
21 वर्ष तक राशि देने का नियम
पुलिस विभाग के छत्तीसगढ़ पुलिस कर्मचारी वर्ग असाधारण परिवार निवृत्ति नियम 1965 के नियम 5 के अनुसार शहीद जवानों के बच्चों की फीस पुलिस विभाग देता है। ऐसे बच्चों की 21 वर्ष की उम्र पूरी होने तक उनकी शिक्षा पर होने वाली रकम दी जानी चाहिए।