GARIYABAND. छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के बाद स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं में कांग्रेस समर्थित निर्वाचित अध्यक्षों पर अविश्वास प्रस्ताव की आफत आन पड़ी है।
भाजपा सरकार बनते ही दिसंबर 23 से 5 फरवरी 24 तक नगरीय निकाय के 4 अध्यक्षों सहित एक जनपद पंचायत अध्यक्ष को अविश्वास प्रस्ताव के द्वारा पद से हटाया जा चुका है। सोमवार को नगरपालिका परिषद गोबरा-नवापारा में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था, जो ध्वस्त हो गया।
5 फरवरी को नगर पंचायत राजिम की सीमा से लगे नगरपालिका परिषद गोबरा नवापारा में कांग्रेस समर्थित अध्यक्ष धनराज मध्यानी (धन्ना) और उपाध्यक्ष चतुर जगत के खिलाफ भाजपा पार्षदों द्वारा लाए गये अविश्वास प्रस्ताव पर कलेक्टर रायपुर के दिशानिर्देश में अपर कलेक्टर बी.बी. पंचभाई के नेतृत्व में गठित टीम की निगरानी में अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान कराया गया, जिसमें 21 पार्षदों नें मतदान किया।
फ्लोर टेस्ट के दौरान अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 8 मत, विरोध में 11 मत पड़े और 2 मत निरस्त किए गये। इस तरह अध्यक्ष धनराज मध्यानी के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव ध्वस्त हो गया। वहीं नपा उपाध्यक्ष चतुर जगत के पक्ष में 12 वोट और विपक्ष में 8 वोट पड़े। इस तरह कांग्रेस समर्थित अध्यक्ष – उपाध्यक्ष अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब रहे। अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में आवश्यक मत नहीं जुटा पाने के कारण विरोधी पक्ष अपने मंसूबे में सफल नहीं हो पाए।
अविश्वास प्रस्ताव की कार्यवाही के दौरान नपा के साथ उसके आसपास बड़ी तादात में भाजपा-कांग्रेस के कार्यकर्ताओं – नेताओं और नगरवासियों की मौजूदगी के कारण सरगर्मी का माहौल बना रहा। अविश्वास प्रस्ताव पर परिणाम की घोषणा होते ही उनके समर्थकों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जश्न का माहौल के साथ बधाई देने वालों का ताता लग गया।
बता दें कि नवंबर-दिसंबर 2019 में नगर पालिका परिषद के हुए चुनाव में कांग्रेस के 11, भारतीय जनता पार्टी के 8 और 2 निर्दलीय पार्षद चुनाव जीते। निर्दलीय पार्षद भाजपा के ही करीबी माने जाते थे यानी भाजपा को सपोर्ट करते हैं। कांग्रेस के पास बहुमत होने की वजह से नपा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की कुर्सी पर कांग्रेस का कब्जा है। भाजपा द्वारा इसे बदलने की रणनीति विफल हो गई है।