टीकम पिपरिया
BALOD. आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांकेर लोकसभा क्षेत्र के लिए बालोद जिले से टिकट दिए जाने की चर्चा कांग्रेस में चल रही थी। लेकिन इस मामले में कांग्रेस केवल चर्चा तक ही सीमित रह गई है, जबकि भाजपाई इस मुद्दे को लेकर सक्रिय हो गए हैं। कुछ पुराने कार्यकर्ता जुगाड़ में लग गए हैं। अपने आकाओं तक अपनी बात विभिन्न माध्यमों से पहुंचा रहे हैं। अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में इस विषय को लेकर कांग्रेस और भाजपा अपने आप को कितना सक्रिय कर पाती है और कौन सफल हो पाती है। लोकसभा चुनाव में अब ज्यादा दिन नहीं रह गए हैं। इसको लेकर उच्च स्तर पर राजनीतिक दलों में मंथन शुरू हो गया है। वहीं लगभग पखवाड़ा भर से बालोद जिला में भी कांकेर लोकसभा सीट के लिए बालोद जिला से टिकट देने की मांग उठने लगी है। इस मांग की शुरुआत कांग्रेस से हुई है।
कांग्रेस में पिछले कई सालों से बालोद जिला ने जो प्रदर्शन किया है उसको दावे का आधार बताया जा रहा है। बीते विधानसभा चुनाव में भी बालोद जिले में कांग्रेस ने जबरदस्त प्रदर्शन किया था। इस आधार पर कांग्रेस में टिकट दिए जाने की चर्चा जोर-शोर से उठी थी, लेकिन पिछले कुछ दिनों से यह चर्चा थम सी गई है, जबकि कांग्रेस से उठी यह हवा भाजपाइयों को सक्रिय कर दी है। बताया जाता है कि कुछ पुराने भाजपाई जो विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं के अलावा कई नेता इस मामले में सक्रिय हो गए हैं और अपने प्रदेश व देश के नेताओं तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं। यह बात भी सामने आई है कि भाजपाइयों ने उच्च संगठन को यह भी जानकारी दे दी है कि कांग्रेस में इस बार बालोद जिले से टिकट की मांग पुरजोर से चल रही है, और बहुत हद तक संभावना भी है इसलिए भाजपा में भी बालोद जिले को अवसर दिया जा सकता है।
भाजपा से ज्यादा कांग्रेस में दावा मजबूत
बालोद जिले में पिछले कई सालों की राजनीतिक सक्रियता को देखें तो बालोद जिला में कांग्रेस का दावा भाजपा की तुलना में ज्यादा मजबूत नजर आ रहा है। पिछले तीन विधानसभा चुनाव में जिले की तीनों ही सीट कांग्रेस की झोली में गई है। वही बीते लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के अंतर को भी बालोद जिले ने पाटा है। कुल मिलाकर कहा जाए कि बालोद जिले में कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में भी अच्छा प्रदर्शन किया था। इस आधार पर बालोद जिले का दवा भी मजबूत होता दिख रहा है, जबकि भाजपा में लोकसभा सीट लगातार कांकेर क्षेत्र के प्रत्याशी जीतते आ रहे हैं, इसलिए बालोद जिले का दावा कम प्रभावशाली दिख रहा है।
भाजपाइयों को नए-नए प्रयोग के चलते है उम्मीद
कांकेर लोकसभा सीट के लिए बालोद जिले के भाजपाइयों को इसलिए उम्मीद नजर आ रही है क्योंकि भाजपा नए-नए प्रयोग करने में माहिर है। इसीलिए बालोद जिले के कार्यकर्ता इस सोच में है कि कहीं भाजपा ने नया प्रयोग कर दिया तो इस बार बालोद जिले को टिकट मिल सकती है। इसी उम्मीद में वे अपने आप को सक्रिय कर दिए हैं। वैसे देखा जाए तो भाजपा के लिए एक झटके में बालोद जिले को टिकट देने का निर्णय लेना कठिन नहीं है, जबकि कांग्रेस के पास तमाम वजह होने के बाद भी निर्णय लेने में समय लग सकता है। जिले के भाजपाई इसी उधेड़बुन में है कि कांकेर लोकसभा क्षेत्र में भी नए प्रयोग की बात चल जाए तो उनको अवसर मिल जाए।
भाजपा व कांग्रेस दोनों में हैं कई दावेदार
बालोद जिले में तीन विधानसभा क्षेत्र आते हैं बालोद, डौंडीलोहारा और गुंदरदेही तीनों विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति के कई दावेदार मौजूद हैं। कई ऐसे आदिवासी नेता हैं जो विधानसभा चुनाव, नगरीय निकाय चुनाव व त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में काफी सक्रिय रहते हैं। हालांकि लोकसभा चुनाव के दौरान अभी तक बालोद जिले के लोगों में दोनों ही पार्टियों में कोई खास सक्रियता नहीं रही है, लेकिन इस बार हवा कुछ बदली बदली सी लग रही है और दोनों ही दलों में कार्यकर्ता सक्रिय नजर आ रहे हैं।
संगठन की ज्यादा जिम्मेदारी
कांकेर लोकसभा क्षेत्र के लिए बालोद जिले की दावेदारी को ऊपर तक पहुंचाने की ज्यादा जिम्मेदारी संगठन पर है, क्योंकि यदि कोई कार्यकर्ता इस बात को ऊपर तक पहुंचाता है तो हो सकता है इसे उसका निजी स्वार्थ मान लें लेकिन यही बात पूरे आंकड़ों के साथ उच्च स्तर पर जिला संगठन रखें तो ज्यादा प्रभावशाली होगा। माना जा रहा है कि इस बात को दोनों ही दलों के संगठन भली-भांति समझ रहे हैं और संभवतः आगामी दिनों में कुछ नई बात पता चले तो कोई आश्चर्य नहीं होगा।