RAIPUR. छत्तीसगढ़ में 2023 के महामुकाबले के नतीजे आ चुके हैं। भाजपा की सरकार जल्द प्रदेश में कामकाज संभाल लेगी। लेकिन उससे पहले ही भूपेश सरकार की योजनाओं को लेकर सवाल उठने लगे हैं। क्या होगा गोबर खरीदी का। क्या बिजली बिल हाफ योजना होगी बंद। इसे लेकर जिम्मेदार क्या कहते हैं यह हमने इस खबर में जानने की कोशिश की है।
इस पर अब बीजेपी-कांग्रेस में विवाद भी शुरू हो गया है। भाजपा के दिग्गज नेता व पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने सरकार बनने के पहले ही ऐसी योजनाओं की समीक्षा करने की बात कहते नजर आ रहे हैं। साथ ही कहा है कि बीजेपी अपने चुनावी वादे पूरी करेगी। वहीं, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज ने भाजपा की अतिवादी चरित्र बता रहे हैं।
छत्तीसगढ़ की सत्ता में काबिज होने 2018 में कांग्रेस ने किसानों का कर्जा माफ और बिजली बिल हाफ का नारा दिया। प्रदेशभर में गौठान बनाए गए। गोबर खरीदी को सरकार ने फ्लैगशिप योजना की तरह प्रचारित किया। लेकिन चुनाव में पराजय के साथ ही इन योजनाओं को लेकर सवाल उठने लगे हैं। भाजपा प्रदेश में गोबर खरीदी में घोटाले की बात कहकर विरोध करती रही है। गौठान और रीपा की योजना को भी विफल करार देती रही है। ऐसे में अब सवाल है कि क्या भाजपा की सरकार में गोबर खरीदी बंद होगी।
वहीं, बिजली बिल हाफ और स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल जैसी योजनाओं को लेकर भी हर किसी की निगाहें टिकी हुई है। गोबर खरीदी के पीछे कांग्रेस सरकार ने जहां वर्मी कंपोस्ट से जैविक खेती को प्रोत्साहित करने की बात कही थी। वहीं सियासी मायनों में भी भाजपा के हिंदुत्व कार्ड का सामना करने के लिए इसे अहम माना गया था। लेकिन अब गोबर खरीदी ही नहीं कांग्रेस सरकार की कई योजनाओं पर सवालिया निशान लगता नजर आ रहा है।
योजनाओं पर टिकी है सभी निगाएं
गोबर खरीदी से लेकर नरवा विकास और गौठान तक कांग्रेस की योजनाओं के केंद्र में गांव, गरीब, किसान रहे हैं। भाजपा के विकास की परिभाषा में इन योजनाओं का कितना स्थान होगा। यह तो कुछ वक्त बाद पता चलेगा। फिलहाल हर किसी की निगाहें बिजली बिल हाफ और स्वामी आत्मानंद स्कूल जैसी योजनाओं पर जरूर टिक गई है, जिससे बड़े पैमाने पर लोग लाभान्वित हो रहे थे।