BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने दुष्कर्म मामले महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. कोर्ट ने दुष्कर्म मामले में सुनवाई करते हुए कहा है कि नवजात का डीएनए टेस्ट कराना उसकी निजता का उल्लंघन है. यह उसका संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकार है. साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि आरोपियों की तरफ से कोई भी पक्षकार नहीं है. ऐसे में डीएनए टेस्ट जरुरी नहीं है. इसके बाद जस्टिस संजय के अग्रवाल और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की बेंच ने नवजात के डीएनए टेस्ट की मांग के लिए किए गए आवेदन को ख़ारिज कर दिया।
जानें पूरा मामला
मिली जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के खरसिया के बोतल्दा गांव में रहने वाले दिलेश निषाद और रूपलाल यादव को 21 जनवरी 2018 को हुए सामूहिक दुष्कर्म मामले में गिरफ्तार किया गया था. दोनों आरोपियों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था. मामला कोर्ट में लंबित रहने के कारण पीड़िता ने 25 नवंबर 2018 को बच्चे को जन्म दिया।
इसके बाद दोनों आरोपियों ने कोर्ट में नवजात के डीएनए टेस्ट की मांग करते हुए आवेदन दिया था. इसके बाद कोर्ट ने 1 मई 2019 को इस आवेदन को ख़ारिज कर दिया था और ट्रायल पूरा होने के बाद दोनों आरोपियों को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी.
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद 2019 में स्वयं पीड़िता और नवजात के डीएनए टेस्ट की मांग की गई थी. हाईकोर्ट ने इस पर अंतिम फैसले के समय विचार करने को कहा था. हालांकि आरोपियों ने इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को मंजूर भी कर लिया था. और हाई कोर्ट को आवेदन पर जल्द निर्णय लेने को कहा था.
दुष्कर्म मामले में हाई कोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणी, पीड़िता के नवजात का नहीं होगा डीएनए टेस्ट
BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने दुष्कर्म मामले महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. कोर्ट ने दुष्कर्म मामले में सुनवाई करते हुए कहा है कि नवजात का डीएनए टेस्ट कराना उसकी निजता का उल्लंघन है. यह उसका संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकार है. साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि आरोपियों की तरफ से कोई भी पक्षकार नहीं है. ऐसे में डीएनए टेस्ट जरुरी नहीं है. इसके बाद जस्टिस संजय के अग्रवाल और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की बेंच ने नवजात के डीएनए टेस्ट की मांग के लिए किए गए आवेदन को ख़ारिज कर दिया।
जानें पूरा मामला
मिली जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के खरसिया के बोतल्दा गांव में रहने वाले दिलेश निषाद और रूपलाल यादव को 21 जनवरी 2018 को हुए सामूहिक दुष्कर्म मामले में गिरफ्तार किया गया था. दोनों आरोपियों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था. मामला कोर्ट में लंबित रहने के कारण पीड़िता ने 25 नवंबर 2018 को बच्चे को जन्म दिया।
इसके बाद दोनों आरोपियों ने कोर्ट में नवजात के डीएनए टेस्ट की मांग करते हुए आवेदन दिया था. इसके बाद कोर्ट ने 1 मई 2019 को इस आवेदन को ख़ारिज कर दिया था और ट्रायल पूरा होने के बाद दोनों आरोपियों को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी.
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद 2019 में स्वयं पीड़िता और नवजात के डीएनए टेस्ट की मांग की गई थी. हाईकोर्ट ने इस पर अंतिम फैसले के समय विचार करने को कहा था. हालांकि आरोपियों ने इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को मंजूर भी कर लिया था. और हाई कोर्ट को आवेदन पर जल्द निर्णय लेने को कहा था.