NEW DELHI. इन दिनों एक नई बीमारी हवाना सिंड्रोम के बारे में काफी चर्चा हो रही है। भारत में इस बीमारी पर विचार करने के लिए भारत सरकार ने एक समिति का गठन किया है। यह समिति भारत में हवाना सिंड्रोम जैसे लक्षणों की सभी रिपोर्टों की जांच करेगी, और किसी भी संभावित पर्यावरणीय या मानव निर्मित कारकों पर भी विचार करेगी जो इसमें योगदान दे सकते हैं।
सरकार इस स्थिति से प्रभावित लोगों के लिए एक हेल्पलाइन स्थापित करने की भी योजना बना रही है, ताकि उन्हें जल्दी और आसानी से चिकित्सा सहायता मिल सके। कर्नाटक उच्च न्यायालय (एचसी) में दायर एक याचिका के जवाब में सरकार की तरफ से कहा गया है कि इस विषय की जांच की जाएगी और तीन महीने में कमेटी जवाब देगी।
बेंगलुरू में लगाई गई थी याचिका
बेंगलुरु के ए अमरनाथ चागु ने हवाना सिंड्रोम से बारे में याचिका दायर की थी। इस याचिका में बीमारी की जांच और इसके प्रसार को रोकने के लिए सरकार को निर्देश देने की भी मांग की गई थी। इस संदर्भ में 27 जुलाई के कोर्ट के आदेशानुसार इस रोग के बारे में जांच की जाएगी।
बताते चलें कि यह बीमारी मुख्यरूप से अमेरिकी राजनयिकों में देखी जाती रही है। इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को भटकाव की स्थिति, तेज आवाज और शोर सुनने, स्मृति हानि, संतुलन संबंधी समस्याओं और सिरदर्द की शिकायत होती है। भारत में साल 2021 में पहली बार इसका मामला सामने आया था।
साल 2016 में सामने आया था पहला केस
साल 2016 में पहली बार हवाना सिंड्रोम का मामला सामने आया था। उस वक्त क्यूबा में तैनात अमेरिकी खुफिया अधिकारियों और दूतावास के कर्मचारियों में इस बीमारी के लक्षण देखे गए थे। साल 2017 में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में तैनात अमेरिकी राजनयिकों ने इसी तरह की परेशानी की बात कही थी।
उन मामलों में शोधकर्ताओं ने कहा है कि हवाना सिंड्रोम माइक्रोवेव हथियारों के कारण होने वाली समस्या हो सकती है। इसे शुरू में मास हिस्टीरिया के तौर पर माना जा रहा था। हालांकि, अभी तक यह समझा नहीं जा सका है कि इस बीमारी की असली वजह क्या है।
फिलहाल यह भी पता नहीं चला सका है कि कुछ खास लोगों और उनके परिवार के सदस्यों को ही यह बीमारी क्यों हो रही है। इसी वजह से अभी तक इस रहस्यमयी बीमारी का इलाज भी पता नहीं है।