NEW DELHI. राहुल गांधी ने श्रीनगर में अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान जिस लड़की का यौन उत्पीड़न किए जाने का मुद्दा उठाया था, उसके बारे में पूछे गए सवाल का जवाब उन्होंने दिल्ली पुलिस को भेज दिया. पुलिस रविवार सुबह उनके आवास पर पहुंची थी. इसके बाद कांग्रेस और समान विचारधारा वाले दलों ने चल रहे संसद सत्र के लिए अपनी रणनीति तैयार करने के लिए सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के कार्यालय में बैठक करने का फैसला किया है.
जहां विपक्षी पार्टियां अडानी समूह पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने का दबाव बना रही हैं, वहीं खड़गे ने कहा कि कांग्रेस अडानी विवाद पर केंद्र से सवाल करना बंद नहीं करेगी. इससे साफ है कि सोमवार को संसद में जारी घमासान और भी ज्यादा तेज होगा.
भाजपा अध्यक्ष जेपी नडडा ने रविवार को जहां तीन दिनों में दूसरी बार राहुल गांधी पर आक्रामक हमला बोला तो दिल्ली पुलिस ने श्रीनगर में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष के दिए बयान के बहाने दुबारा उनके घर पहुंच कर विवाद को उफान देने का विपक्ष को मौका दे दिया. कांग्रेस ने भी जवाबी आक्रामक पलटवार से साफ कर दिया कि भाजपा सरकार के सियासी दांव-पेंच के बावजूद विपक्ष अदाणी मुद्दे पर जेपीसी गठन की अपनी मांग नहीं छोड़ेगा. सरकार और विपक्ष के बीच संसद में गतिरोध के लिए किसी तरह की कोई पहल या बातचीत नहीं हुई है. विपक्षी दलों का साफ मानना है कि भाजपा सरकार का यह रूख और राहुल के बयान को मुद्दा बनाने से साफ है कि सत्तापक्ष संसद नहीं चलाना चाहता. ऐसे में विपक्षी दल संसद के संग्राम के बाद अपने सांसदों के साथ अदाणी मुद्दे पर जेपीसी की मांग के लिए विरोध प्रदर्शन के अलग-अलग तरीकों के तहत सोमवार को संसद भवन से राष्ट्रपति भवन तक मार्च करने का प्रयास करेंगे.
खड़गे ने कहा, राहुल गांधी और कांग्रेस पुलिस से नहीं डरेंगे, क्योंकि यह केवल अडानी मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए किया गया था. हम उनसे (भाजपा) अडानी पर सवाल करना जारी रखेंगे, चाहे वे उन्हें कितना भी बचाना चाहें. कांग्रेस ने दावा किया कि दिल्ली पुलिस की सस्ती नाटकीयता से पता चलता है कि अडानी पर सवालों से प्रधानमंत्री कितने बौखला गए हैं, यह पुलिस की नहीं, बल्कि उनके राजनीतिक आकाओं की गलती है. सत्तापक्ष और विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण इस सप्ताह संसदीय कार्यवाही बाधित हुई है. सरकार के पास अब वित्त वर्ष 2023-2024 के केंद्रीय बजट को संसद में पारित कराने के लिए केवल दो सप्ताह का समय है. मानदंडों के अनुसार बजट को वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले यानी 31 मार्च 2023 से पहले संसद के दोनों सदनों में पारित करने की जरूरत होती है.
ऐसे में सोमवार से शुरू हो रहे सप्ताह में सरकार बजट क्लीयरेंस की प्रक्रिया शुरू करने की कोशिश कर सकती है. आम तौर पर लोकसभा में चर्चा और मतदान के लिए रेलवे और कृषि जैसे कुछ प्रमुख मंत्रालयों की अनुदान मांगों को लिया जाता है. इनके लिए मतदान हो जाने के बाद चूंकि हर विभाग की अनुदान मांगों पर विचार करने के लिए बहुत कम समय रह जाता है, अध्यक्ष अनुदान की ऐसी सभी बकाया मांगों पर गिलोटिन लगाते हैं और उन्हें मतदान के लिए रखा जाता है चाहे चर्चा हो या न हो.