Tirandaj Desk। न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायाधीश सूर्यकांत की पीठ ने दुष्कर्म के आरोपी को जमानत देने के राजस्थान हाईकोर्ट (rajasthan high court) के फैसलों पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। इसके अलावा कोर्ट ने सख्त टिप्पणी भी की। सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने एक महिला की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करने से मना कर दिया। महिला ने अपने साथ दुष्कर्म करने आरोपी की जमानत खारिज करने की मांग की थी।
राजस्थान हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि यह आपसी सहमति से बनाए संबंध का मामला लगता है, जिसमें महिला आरोपी के साथ होटलों में गई। वह केंद्रीय सुरक्षा बल के सीमा पर तैनात अपने पति के भेजे हुए पैसों को खर्च कर रही थी, जबकि उसे पता भी नहीं था कि घर पर उसकी पत्नी क्या कर रही है।
पीठा ने कहा कि महिला ने अपने बच्चों को घर पर अकेला छोड़ा और आरोपित के साथ होटलों में गई। औरत ने उसके साथ रहने के लिए नजदीकी अलग कमरा भी रेंट पर लिया। इस तरह आप आईटीबीपी (Indo-Tibetan Border Police) में कर्मचारी पति के पैसों को खर्च कर रहा थीं। बॉर्डर पर तैनात पति को पता भी नहीं था कि उसकी पत्नी घर पर क्या कर रही है।
सहमति से बने संबंध का है मामला
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ऐसा लगता है कि यह सहमति से बने संबंध का केस था। ऐसे में हम हाईकोर्ट के आदेश में कोई दखल नहीं देंगे। महिला की ओर से पेश वकील ने दलील दी थी कि आरोपी ने महिला को तंग किया। उसने पीड़िता के साथ कई बार दुष्कर्म किया। साथ ही आरोपी ने पैसों के लिए महिला को ब्लैकमेल भी किया। इसे साबित करने के लिए बैंक ट्रांजेक्शन का भी हवाला दिया। महिला ने आरोपी पर आईपीसी की धारा 376 और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम 1989 के प्रावधानों के तहत माममा दर्ज किया गया था।