रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव पर उनके ही क्षेत्र के एक पार्षद ने करोड़ों रुपये की जमीन के हेरा-फेरी के आरोप लगाए हैं। भाजपा पार्षद ने इस मामले को लेकर पीएमओ, राहुल गांधी, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, मुख्य सचिव को भी पत्र लिख कार्रवाई की मांग की है।
पार्षद के इस आरोप पर पक्ष जानने के लिए तीरंदाज की टीम ने स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को फोन लगाया। सिंहदेव ने मामले में चुप्पी साधते हुए अपने वकील से बात करने की सलाह देते हुए फोन काट दिया।
राजपरिवार पर अंबिकापुर के भाजपा पार्षद आलोक दुबे ने दस्तावेजों में हेरफेर कर करोड़ों रुपये की जमीन हड़पने का आरोप लगाया है। उन्होंने साक्ष्य के तौर पर तमाम दस्तावेज संलग्न करते हुए पीएमओ, राहुल गांधी और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखा है।
पीएमओ और राहुल गांधी को लिखे पत्र में पार्षद ने रियासतों के विलीनीकरण का हवाला देते हुए कहा है कि सरगुजा रियासत के विलय पर 25 मार्च 1948 को सरगुजा के तत्कालीन महाराज और मध्य प्रांत के तत्कालीन मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल के बीच करार हुआ था। इस दस्तावेज में किसी तरह का बदलाव नियम के प्रतिकूल था।
पार्षद ने आरोप लगाया है कि करार के कुछ समय बाद में टीएस सिंहदेव के पिता स्वर्गीय मदनेश्वर शरण सिंह जो मध्यप्रदेश सरकार में मुख्य सचिव भी थे, उन्होंने अपने रसूख का इस्तेमाल कर दस्तावेजों में हेरफेर कराया। आरोप के मुताबिक सरकार द्वारा अधीन की गई भूमि उन्होंने फिर से अपने नाम करवा ली।
आरोप के मुताबिक 250 करोड़ रुपये की सरकारी जमीन को अपने नाम करवाकर राजपरिवार द्वारा बेच दिया गया। वहीं खसरा खतौनी में भी हेरफेर किया गया है। नामांतरण की जानकारी भी सरकारी रिकार्ड से गायब कर दिया गया है।
पार्षद आलोक दुबे का कहना है कि सरगुजा में अभी भी राजपरिवार का दबदबा है इस वजह से इस हेरफेर को दबाने में टीएस सिंहदेव और उनका परिवार सफल रहा है। मामला संज्ञान में लाये जाने के बाद भी शासन के स्तर पर किसी स्तर पर कोई कार्रवाई नही हो रही है।