भिलाई। मूल अधिकार के सभी उपबंध संविधान की आत्मा की तरह हैं। भारतीय संविधान का मूल उद्देश्य भेदभाव से दूर सामाजिक समरसता का संदेश देना है। हमें आज स्वयं की समीक्षा करनी चाहिए कि हमने संविधान की मूल भावना को कितना आत्मसात किया है। किसी भी देश का संविधान वहां के शासन को एक आधार देता है। देशवासियों के हित और जरूरतों के लिए यह बेहद जरूरी भी है।
यह बातें संविधान दिवस के अवसर पर श्रीशंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कुलपति प्रो. डॉ. एलएस निगम ने कहीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति ने आगे कहा कि भारत एक विविधताओं का देश है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश में सैकड़ों भाषाएं, बोली, पहनावे, खान-पान और अन्य विविधताएं हैं। ऐसे में संविधान ही वह एक कड़ी है जो हर भारतवासी को एक साथ पिरोती है। इस अवसर पर कुलपति ने ‘भारतीय संविधान को प्रत्येक पाठ्यक्रम में एड ऑन कोर्स के रूप में सम्मलित करने की घोषणा की। उन्होंने बताया कि श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी ‘भारतीय संविधान को एड ऑन कोर्स के रूप में शामिल करने वाली प्रदेश की पहली निजी यूनिवर्सिटी है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद कुलसचिव पीके मिश्रा ने कहा कि आज के दिन को संविधान दिवस के रूप में मानने का एकमात्र कारण युवाओं के बीच संविधान के मूल्यों को बढ़ावा देना है। दरअसल आज वही दिन है, जब देश ने संविधान को अंगीकार किया था। इसी के चलते आज के दिन को संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है। कार्यक्रम में अकादमिक अधिष्ठाता प्रो. डॉ. शिल्पी देवांगन ने संविधान की उद्देशिका का वाचन किया। कार्यक्रम में प्रो. श्रीमती जया मिश्रा, प्रो. संदीप श्रीवास्तव. डॉ. प्राची निमजे, डॉ. राजश्री नायडू , डॉ. राहुल मिश्रा, डॉ. नेहा सोनी, डॉ. प्रतिमा बारीक, डॉ. रुबीना, डॉ. संजू सिंह, डॉ. सचिन दास आदि उपस्थित रहे। आभार प्रदर्शन उप-कुलसचिव विनय पीताम्बरन ने किया।
(TNS)