रायपुर। माता कौशल्या के मंदिर में दीपोत्सव के आयोजन से ग्रामीण अचंभित है। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि मंदिर में कभी इस तरह का भी आयोजन होगा। लंबे समय तक उपेक्षित रही भगवान राम की ननिहाल में इस आयोजन से ग्रामीणों को उम्मीद जगी है कि अब यह स्थान निश्चित रूप से एक तीर्थ का रूप ले लेगा। भूपेश सरकार जिस तरह से चंदखुरी और राम गमन पथ के विकास को लेकर काम कर रही है, उससे इस स्थान को छत्तीसगढ़ में धार्मिक पर्यटन के केन्द्र के रूप में स्थापित किया जा सकेगा। मंदिर के विकास और आयोजन के लिए मुख्य पुजारी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का आभार जताया।
मंदिर के मुख्य पुजारी पं. रमेश कुमार चौबे के अनुसार उन्होंने अपने जीवन में कभी इस तरह का आयोजन मंदिर में नहीं देखा। एक समय ऐसा भी था जब साल में दो बार ही यहां लोग आते थे। एक बार मंदिर की पुताई के लिए और दूसरी बार चैत्र नवरात्रि में घर में जलाई गई माता कौशल्या के नाम की जोत को मंदिर में रखने के लिए। मंदिर के पास बेर की कटीली झाड़ियां थीं और लोग यहां आने से कतराते थे। 1990 में गांव के 12 लोगों ने चैत्र नवरात्रि से मंदिर में 12 जोत जलाने की शुस्र्आत की थी। उस समय मंदिर के आसपास पानी भरा रहता था तो हम लोग तैरकर मंदिर तक पहुंचते थे। इसके बाद मंदिर में भक्तों के आने का सिलसिला शुरू हुआ। इसके बाद बांस की चैली (नाव) से लोग आने लगे। बाद में विधायक सत्यनारायण शर्मा ने यहां पुल बनवाया। हमने या गांव के किसी व्यक्ति ने कल्पना नहीं की थी रामलला की जननी माता कौशल्या के धाम पर भी कभी सरकार इस तरह से काम करेगी। त्रेता के बाद द्वापर युग में भले ही इस तरह का कोई आयोजन हुआ हो, लेकिन मुझे नहीं लगता कि कलियुग में कभी भगवान राम की ननिहाल में इस तरह दीपोत्सव मनाया गया होगा। यह आयोजन भगवान राम की ननिहाल को तीर्थस्थल बनाने में सहायक साबित होगा। उम्मीद है कि सरकार इसे आगे भी जारी रखेगी।
चंदखुरी के 70 वर्षीय ग्रामीण रामकुमार साहू ने कहा कि आज लग रहा है कि वास्तव में चंदखुरी भगवान राम की ननिहाल है। दीपावली पर ऐसा उत्सव श्रीराम के प्रति सच्ची आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज जो शुस्र्आत की है, वह अब परंपरा बन जाएगी। और यही परंपरा समाज को जोड़ने का काम करेगी। दीपक से जगमगाती चंदखुरी आज बैकुंठ धाम लग रही है। एक अन्य ग्रामीण विष्णु वर्मा कहते हैं कि आज लग ही नहीं रहा है कि वे चंदखुरी में हैं, ऐसा लग रहा है मानो वे त्रेता युग में आ गए हैं। अब त्रेता युग तो नहीं देखा, लेकिन लगता है कि जब भगवान राम लंका जीत कर लौटे होंगे तो कुछ ऐसा ही उत्साह, उमंग और माहौल यहां रहा होगा।
रामकुमार साहू
विष्णु वर्मा
मुख्यमंत्री पहली बार आए और जीर्णोद्धार की घोषणा की
मंदिर के मुख्य पुजारी पं. रमेश कुमार चौबे बताते हैं कि 2020 में चैत्र नवरात्रि पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पास में स्थित पुलिस अकेदमी आए थे। इसी दौरान उन्हें किसी ने बताया कि यहां माता कौशल्या का भी मंदिर है तो वे माता के दर्शन करने आ गए। माता के दर्शन के बाद उन्होंने मंदिर क्षेत्र के जीर्णोद्धार की घोषणा की।
(TNS)