NEW DELHI.केंद्र सरकार की ओर से प्रतिबंधित किए गए पीएफआई संगठन के 105 काडर के खिलाफ एनआईए ने चार्जशीट दाखिल की है. चार्जशीट में पीएफआई के कारनामों के बारे में विस्तार से बताया गया है. उस पर देश के कई हिस्सों में आतंकवाद को बढ़ावा देने, राजनीतिक अस्थिरता फैलाने, आपराधिक साजिश रचने और धार्मिक वैमनस्य को बढ़ावा देने के आरोप हैं. पीएफआई के खिलाफ देश के अलग-अलग हिस्सों में दर्जनों मामले दर्ज हो चुके हैं, तो केंद्र सरकार पीएफआई को प्रतिबंधित करने की घोषणा कर चुकी है.
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर आरोप है कि वो भारत को 2047 तक एक इस्लामिक राष्ट्र बनाने की चाहत रखता है. उस पर हथियारों की ट्रेनिंग देने से लेकर समाज में वैमनस्य फैलाने की कोशिश करने तक के आरोप हैं. ऐसे ही तमाम मामलों में एनआईए ने पीएफआई के देश भर की जेलों में बंद 105 सदस्यों के खिलाफ 13 मार्च से अब तक 5 चार्जशीट दाखिल किये हैं, जिसमें गुरिल्ला वारफेयर के लिए मुस्लिम लड़कों की पूरी फौज तैयार करने की कोशिश का भी आरोप है. इसमें मुस्लिम लड़कों को गुमराह करके उन्हें हथियारों की ट्रेनिंग भी देने की बात शामिल है.
इस मामले की पहली चार्जशीट में राजस्थान के मोहम्मद आशिफ, कोटा और सादिक सर्राफ, बारन के नाम है. ये मामला पिछले साल सितंबर में एनआईए ने दर्ज किया था. जिसकी जांच का बड़ा हिस्सा पूरा हो चुका है. इस मामले में एनआईए ने चार्जशीट दाखिल कर दी है. इसके अलावा अन्य मामलों में भी देशद्रोह जैसे केस लगाए गए हैं.
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) एक भारतीय मुस्लिम राजनीतिक संगठन था, जो मुस्लिम अल्पसंख्यक राजनीति की एक चरमपंथी और विशिष्ट शैली में संलग्न था.हिंदुत्व समूहों से लड़ने के लिए गठित इस समूह को भारतीय गृह मंत्रालय द्वारा गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत 28 सितंबर 2022 को पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है.