RAIPUR. छत्तीसगढ़ में एक बार फिर आरक्षण विधेयक पर सियासत गरमा गई है। दरअसल, इस मामले में करीब 50 दिन बाद राज्यपाल राज्यपाल अनुसुईया उइके का बयान फिर आया है। रायपुर में एक कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने आरक्षण विधेयक के सवाल पर कहा कि अभी मार्च तक का इंतजार करिए। यानी इसका मतलब साफ है कि राज्यपाल मार्च तक विधेयक पर साइन नहीं करेंगी। इस बयान के बाद जमकर राजनीति शुरू हो गई है। इस बीच, सीएम भूपेश ने राज्यपाल के बयान पर निशाना साधा है। सीएम भूपेश ने आज कहा कि प्रदेश में सभी नौकरियों की भर्ती पूरी तरह से रुका हुआ है। मार्च में ऐसा कौन सा मुहूर्त है, जिसमें राज्यपाल ने हस्ताक्षर करने की बात कही है।
सीएम भूपेश ने कहा कि राज्यपाल मार्च तक इंतजार करने क्यों कह रही हैं] राज्यपाल आरक्षण बिल पर हस्ताक्षर करने के लिए क्या मुहूर्त का इंतजार कर रही हैं।यहां परीक्षाएं हो रही हैं, बच्चों के एडमिशन होने हैं। व्यापमं की परीक्षाएं और पुलिस भर्ती होनी है।शिक्षकों की भर्ती होनी है। हस्ताक्षर नहीं होने के कारण सारी भर्तियां रुकी हुई हैं। यह संविधान में प्राप्त अधिकारों का दुरुपयोग है। मार्च में ऐसा कौन सा मुहूर्त निकलने वाला है, जिसका इंतजार करने की वह बात कर रही हैं। उन्होंने कहा कि आरक्षण संशोधन बिल दिसंबर में पास हुआ और अब तक रोके बैठे हैं। भारतीय जनता पार्टी भी चुप है। यह प्रदेश के युवाओं के साथ अन्याय है। यह भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर रोका जा रहा है।
हमारी नीतियों से नक्सली पीछे हटेः सीएम
सीएम ने कहा कि बीजेपी ने आदिवासियों के हित में कोई फैसला नहीं किया, बल्कि आदिवासियों की जमीन छीनने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। यह कानून तक बना रहे थे, हमने उसे पलटा। लगातार आदिवासियों की जमीन छीनी जा रही थी। बड़े कारपोरेट हाउस को दिया जा रहा था। प्रदेश में पेसा नियम लागू नहीं थे। आदिवासियों को फॉरेस्ट एक्ट के तहत आदिवासी पट्टा देना था, वह भी नहीं दिया गया। बीजेपी सरकार ने आदिवासियों के खिलाफ ही फैसला लिया, अब उनके पास कोई मुद्दा नहीं बचा है। हमारी नीति के कारण नक्सली पीछे चले गए हैं, बीजेपी बस्तर में हिंसा फैलाने के लिए तरह तरह के काम कर रही है।
ये है पूरा मामला
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 19 सितंबर 2022 को फैसला सुनाते हुए 58 फीसदी आरक्षण को असंवैधानिक बताया था। उसके बाद से छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए कोई आरक्षण रोस्टर नहीं बचा है। इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर आरक्षण संबंधी दो संशोधन विधेयक पारित कराए थे। इसमें आरक्षण को बढ़ाकर 76फीसदी कर दिया गया था। इस गहमागहमी के बीच 1 दिसंबर 2022 को आरक्षण संशोधन विधेयकों को पास करा लिया गया। इसके मुताबिक, अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 13 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है। अब बिल राजभवन में अटका हुआ है। राज्यपाल ने इसमें कुछ खामियां बताकर 10 बिंदुओं पर राज्य सरकार से जवाब मांगा था।