भिलाई। बैंकों के निजीकरण के विरोध में बैंक कर्मियों ने गुरुवार से दो दिवसीय शुरू कर दी है। युनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (UFBU) के तत्वाधान में सेक्टर-1 स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के सामने बड़ी संख्या में बैंक कर्मी जुटे। इस दौरान केन्द्र सरकार द्वारा बैंकों के निजीकरण की तैयारियों का विरोध किया गया। उक्त प्रदर्शन में दुर्ग भिलाई के सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों के अधिकारी व कर्मचारियों ने भाग लिया और सरकार की नीतियों का विरोध किया।
युनाइटेड फोरम बैंक यूनियन भिलाई दुर्ग यूनिट के पदाधिकारियों ने बताया कि बैंकों का निजीकरण किए जाने से अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा। इसके कारण ग्रामीण शाखाओं के बंद होने का खतरा है जिससे शहरी शाखाओं में काम का दबाव बढ़ेगा जिससे आम उपभोक्ताओं को भी दिक्कतें आएंगी। निजीकरण से ब्याज दरों के निर्धारण में बैंकों का एकाधिकार हो जाएगा जिससे पेंशनधारियों को कम ब्याज मिलेगा। छोटे व मध्यम व्यापारियों को आसानी से लोक मिलने में दिक्कते आएंगी यही नहीं शिक्षा लोन के लिए भी लोगों को भटकना पड़ सकता है।
यूनियन ने कहा कि निजीकरण से ग्राहक सेवा खराब होगी क्योंकि ओवर लैपिंग शाखाएं बंद हो जाएगी। इससे बेरोजगारी की दर भी बढेगी। आज जमाकर्ता बैंकों में अपने रुपए सुरक्षित समझते हैं लेकिन नजीकरण से जमाकर्ताओं का पैसा सुरक्षित नहीं रहेगा, क्योंकि सरकार द्वारा दी गयी सॉवरेन गारंटी वापस ले ली जाएगी। बैंको निजीकरण से माध्यम वर्गीय परिवार सबसे ज्यादा असुरक्षित रहेंगे इसलिए किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक का निजीकरण करना आत्मघाती होगा। यूनियन का कहना है कि दो दिन की हड़ताल से बैंकों का करोड़ों का लेनदेन प्रभावित होगा।
चार दिन बंद रहे बैंक
बैंक यूनियन द्वारा दो दिन के लिए हड़ताल बुलाई गई है लेकिन इसका असर चार दिन के लिए होने वाला है। 16 एवं 17 दिसंबर को हड़ताल की वजह से बैंक बंद रहेंगे। 18 दिसंबर को गुरु घासीदास जयंती के कारण अवकाश रहेगा। वहीं रविवार को बैंकों का अवकाश होता है। इस प्रकार हड़ताल के कारण बैंको का कामकाज पूरे चार दिनों के लिए प्रभावित रहेगा।