BILASPUR NEWS. व्यापार में धोखाधड़ी के कई मामले सामने आते हैं। शहर में बिजनेस में अपने पार्टनर को धोखा देने का एक मामला सामने आया है। इसमें एक व्यापारी को उसके साझेदार ने जोरदार झटका दिया। पहले तो तीसरे व्यापारी से मोटी रकम लेकर नया पार्टनर बना लिया। फिर चेक से भुगतान करने के बजाए ऑन लाइन भुगतान की सुविधा ले ली। इसके बाद वास्तविक व्यापारी सड़क पर आ गया है। इसकी शिकायत उसने पुलिस में की है। साथ ही एसपी को शिकायत करते हुए सुरक्षा की भी मांग की है।
बता दें, शैलेष अग्रवाल व्यापारी है। उन्होंने एसपी रजनेश सिंह से शिकायत किया है कि वह रिद्धि-सिद्धि निर्माण इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का निदेशक है। कंपनी के दूसरे निदेशक आदित्य कुमार सिंह है। उसके साझेदार आदित्य सिंह ने उसके साथ धोखाधड़ी की है।
अपने शिकायत में शैलेष अग्रवाल ने बताया कि रिद्धि-सिद्धि निर्माण इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना जुलाई 2010 में किया गया था। तब कंपनी के साझेदार मेरे बहनोई मुकेश कुमार बजाज और भाई रितेश कुमार अग्रवाल थे। कंपनी का मुख्य व्यापार कंस्ट्रक्शन साइट्स पर रेडी मिक्स क्रांकीट की सप्लाई करना है। 2020 में आदित्य सिंह बतौर साझेदार कंपनी में एंट्री। कंपनी की मुल पूंजी वर्ष 2021 में 4 लाख थी। शैलेष अग्रवाल और आदित्य कुमार सिंह का कंपनी में बराबर का यानी 50-50 प्रतिशत की हिस्सेदार बनते ही आपसी सहमति से बहनोई और भाई कंपनी से अलग हो गए। एसपी को किए शिकायत में शैलेष ने कहा है कि आदित्य कुमार सिंह नियत शुरू से ही खराब थीी और वह कंपनी पर पूरी तरह से कब्जा करना चाहता था।
इसके लिए आदित्य सिंह ने प्रलोभन भी दिया कि कंपनी को बेहतर तरीके से काम करने के लिए और व्यापारी मनीष कुमार जैन से मिल जाएगी। मनीष जजैन से 70 लाख रुपये का ऋण लेना उचित होगा। इसके बाद ऋण लिया गया। अग्रवाल ने अपनी शिकायत में बताया है कि कंपनी के नाम से जितने भी ट्रांजिस्ट मिक्चर सीमेंटी की सप्लाई हेतु एवं गाड़ियां थी वो फाइनेंस से खरीदी गई थी। गाड़ियों के लोन का गैरंटर इंदू इंटरप्राइजेस था। मतलब मंथली इंस्टालमेंट देने में कोई चूक होती तो लोन चुकाने की जिम्मेदारी मुपर आती। इसकी जानकारी आदित्य सिंह को थी। इसके बाद आदित्य सिंह ने सुनियोजित तरीके से सेंट्रल बैंक का खाता बंद करके आईसीआईसीआई बैंक परसदा में नया अकाउंट खुलवाया और हर तरह के भुगतान के लिए ऑन लाइन बैंकिंग की सुविधा ले ली।
यहीं नहीं इस सुविधा के लिए उसने अपना मोबाइल नंबर 7024491978 बैंक में रजिस्टर्ड कराया। फिर बाद में भुगतान की हर जानकारी केवल उसके मोबाइल में आने लगा और अपनी मनमर्जी से भुगतान करता गया। जबकि चेक से भुगतान में दोनों के दस्तखत जरूरी थे। इसके बाद किसको कितना भुगतान किया गया इसकी जानकारी केवल उसके मोबाइल में आने लगी और अपनी मनमर्जी से भुगतान करता गया। जबकि चेक से भुगतान में दोनों के दस्तखत जरूरी थे। इसके बाद किसको कितना भुगतान किया गया इसकी जानकारी केवल उसे ही थी।
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जब कंपनी के समस्त भुगतान की जानकारी आदित्य सिंह के मोबाइल नंबर से किए जाते थे तो इसका फायदा उठाते हुए मंथली इंस्टालमेंट के भुगतान के समय या तो अकाउंट से पेमेंट रोक दिया जाता था या अकाउंट का बैलेंस कम कर दिया जजाता था। इस कारण गाड़ियों का इंस्टालमेंट पटाने हेतु मेरी जिम्मेदारी बन जाए और उसने ऐसा ही किया। लोन का इंस्टालमेंट रूकता गया और मुझे नुकसान होने लगा। आज लोन पटाने के लिए मुझे कोर्ट कचहरी का चक्कर काटना पड़ रहा है। उन्होंने अपने शिकायत में यह भी बताया है कि आदित्य सिंह आपराधिक प्रवृत्ति का है और थाने में उसके खिलाफ दो से अधिक अपराध दर्ज है। उससे मुझे और मेरे परिवार के सदस्यों को जान का खतरा है।