RAIPUR. 4 अगस्त यानी हरेली तिहार का दिन। इस दिन पूरे छत्तीसगढ़ हरेली तिहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दौरान सीएम हाउस में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मिलकर इस त्यौहार को धूमधाम से मनाया। इस अवसर पर उन्होंने अपनी पत्नी कौशल्या साय और परिवार के साथ पारंपरिक पूजा-अर्चना की। छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति के पहले पर्व हरेली पर मुख्यमंत्री साय ने सपत्नीक आज राजधानी स्थित अपने निवास कार्यालय में गौरी-गणेश, नवग्रह की पूजा कर भगवान शिव का अभिषेक किया।
वहीं, कृषि कार्य में प्रयुक्त होने वाले हल, नांगर, रापा, कुदाल व कृषि यंत्रों की विधिवत पूजा-अर्चना कर हरेली त्योहार का शुभारंभ किया। इस मौक़े पर मुख्यमंत्री साय ने प्रदेश के किसानों समेत छत्तीसगढ़वासियों की ख़ुशहाली एवं सुख-समृद्धि की कामना की। पशुधन संरक्षण के संदेश के साथ मुख्यमंत्री ने गाय व बछड़े को चारा खिलाया। CM साय ने तुलसी माता, नांगर, कृषि उपकरणों और गेड़ी की पूजा कर अच्छे फसल और प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की। हरेली के अवसर पर पारंपरिक सजावट, छत्तीसगढ़ी संगीत, लोकनृत्य, गड़वा बाजा, राउत नाचा और गेड़ी नृत्य का आयोजन किया गया।
हरेली पर्व पर मलखंभ के युवाओं ने मुख्यमंत्री निवास में रोमांचक प्रदर्शन किया। मलखंभ शारीरिक फुर्ती के साथ मनोरंजन का भी अनोखा खेल है। जब इन खिलाड़ियों ने अपना जौहर दिखाया तो लोगों ने दांतों तले उंगली दबा ली। गौरतलब है कि नारायणपुर के मलखंभ खिलाड़ियों का लोहा पूरे देश ने माना है और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार इसे आगे बढ़ाने के लिए काफी कार्य कर रही है। हरेली त्यौहार के उपलक्ष्य में मुख्यमंत्री निवास में युवा तथा बुजुर्ग समवेत रूप से राऊत नाचा में हिस्सा ले रहे हैं। दोनों ही पीढ़ियां अपनी परंपरा को बढ़ा रही हैं।
हरेली तिहार को हरेली अमावस्या भी कहा जाता है
हरेली तिहार, जिसे हरेली अमावस्या भी कहा जाता है, छत्तीसगढ़ राज्य का एक प्रमुख त्योहार है। यह आमतौर पर श्रावण (जुलाई-अगस्त) महीने के अमावस्या के दिन मनाया जाता है। हरेली तिहार का मुख्य उद्देश्य कृषि और खेती से जुड़ा होता है, और इसे किसानों के लिए विशेष महत्व दिया जाता है। राऊत नाचा के लोकगीत हमारे लोक समाज की उत्सव और मनोरंजन के प्रति उसके आकर्षण दिखाते हैं। सरकार इन लोककलाओं को बढ़ावा देकर एवं लोकगीतों को भी सहेजने का काम कर रही है।