BILASPUR NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि यदि पत्नी ने बिना पर्याप्त कारण पति का साथ छोड़ा है, तो उसे गुजारा भत्ता का अधिकार नहीं मिलेगा। न्यायालय ने रायगढ़ निवासी एक महिला की अपील को खारिज करते हुए फैमिली कोर्ट के फैसले को सही ठहराया।
बता दें, रायगढ़ की महिला ने अपने पति से भरण पोषण की मांग करते हुए फैमिली कोर्ट में आवेदन दिया था। इसमें बताया गया कि उनकी शादी वर्ष 2009, 21 जून को हुई थी। 26 फरवरी 2011 को उनके जुड़वां बेटे हुए। पत्नी का आरोप है कि पति और उसके परिजन दहेज की मांग को लेकर उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करते है। बाद में पति ने उसे मायके में छोड़ दिया।
महिला ने आर्थिक संकट के चलते अपने पति से भरण-पोषण दिलाने की मांग की साथ ही साथ कहा कि पति भिलाई में कपड़े का व्यवसाय करता है और हर मामला लगभग 70 हजार रुपये की कमाई करता है। इस आधार पर उसे 20 हजार रुपये प्रतिमाह भरण पोषण दिया जाए। वहीं, पति ने कोर्ट में कहा कि पत्नी अपनी मर्जी से अलग रह रही है और उसके पास अलग रहने का कोई पर्याप्त व वैधानिक कारण नहीं है।
हाईकोर्ट का फैसला
न्यायमूर्ति ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि यदि पत्नी ने बिना वैधानिक कारण के पति का साथ छोड़ा है, तो वह भरण-पोषण की हकदार नहीं हो सकती। पति से अलग रहने के लिए ठोस आधार और प्रमाण जरूरी हैं। कोर्ट ने माना कि महिला ने अलग रहने के कारणों के समर्थन में कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया। इस वजह से उसकी अपील को अस्वीकार कर दिया गया।
हाईकोर्ट ने कहा कि भरण-पोषण का अधिकार तभी लागू होता है, जब पत्नी यह साबित करे कि वह अपने पति के साथ उचित कारणों से नहीं रह पा रही थी जैसे अत्याचार, उत्पीड़न या असुरक्षा की स्थिति। सिर्फ मनमुटाव या असहजता को अलग रहने का आधार नहीं माना जा सकता।
अदालत ने कहा कि वैवाहिक संबंध सामाजिक संस्था हैं और पति-पत्नी के बीच मतभेद को संवाद या सुलह से सुलझाने की कोशिश होनी चाहिए। पति का साथ छोड़ने के लिए पर्याप्त व ठोस आधार होना चाहिए, तभी पत्नी को गुजारा भत्ता का अधिकार मिलेगा।