BILASPUR NEWS. पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर और मुर्शिदाबाद से आए 12 मजदूरों को स्कूल निर्माण के लिए बस्तर के कोंडागांव ले जाया गया था। 12 जुलाई को कोंडागांव पुलिस ने उन्हें सुपरवाइजर के साथ स्कूल निर्माण स्थल से उठाकर हिरासत में लिया और बांग्लादेशी बताकर गिरफ्तार किया। बाद में भारतीय नागरिक होने की पुष्टि के बाद उन्हें रिहा किया गया।
बता दें, मजदूरों ने आरोप लगाया कि पुलिस थाने में उनके साथ मारपीट, गाली-गलौज, बदसलूकी की गई, और आधार कार्ड दिखाने के बावजूद उन्हें ‘बांग्लादेशी’ कहकर संबोधित किया गया। इसके बाद उन्हें रात में जगदलपुर के केंद्रीय जेल भेज दिया गया। स्थानीय सांसद और पश्चिम बंगाल पुलिस दोनों के हस्तक्षेप से 14 जुलाई को कोंडागांव एसडीएम के आदेश पर मजदूर रिहा किए गए, पर उन्हें राज्य छोड़ने को मजबूर कर दिया गया, जिससे वे अपनी रोज़ी-रोटी गंवा चुके थे।
मजदूरों ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। याचिका में उनके खिलाफ धारा 128 के तहत की गई कार्रवाई को रद्द करने, प्रति व्यक्ति 1 लाख मुआवजे के साथ-साथ भविष्य में राज्य में सुरक्षित रोजगार सुनिश्चित करने की मांग की गई है।
हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच चीफ़ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बी.डी. गुरु की पीठ ने राज्य सरकार को दो सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश देते हुए नोटिस जारी किया है। उसके बाद याचिकाकर्ता पक्ष जवाब तैयार करेगा। न्यायालय ने कहा कि सभी भारतीय नागरिकों को देश में कहीं भी रोजगार करने का संवैधानिक अधिकार है।
क्या है मामला
29 जून 2025 को पश्चिम बंगाल के कृष्णा नगर और मुर्शिदाबाद क्षेत्र से ठेकेदार के माध्यम से 12 निर्माण श्रमिक बस्तर के कोंडागांव में एक स्कूल निर्माण के लिए गए थे। कोंडागांव पुलिस ने सुपरवाइजर के साथ 12 मजदूरों को गाड़ी में बैठाकर ले गई। फिर साइबर सेल थाने में इन सभी श्रमिकों के साथ मारपीट की गई। इतना ही नहीं बताया जा रहा है इनके साथ गाली-गलौज व दुर्व्यव्हार भी किया गया। साथ ही बांग्लादेशी कहकर संबोधित भी किया गया। इसके बाद इन्हें शाम 6 बजे कोंडागांव पुलिस कोतवाली ले जाया गया। वहां से रात के समय उन्हें जगदलपुर सेंट्रल जेल भेज दिया गया।