NEW DELHI/RAIPUR NEWS. छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने भूपेश बघेल व बेटे चैतन्य की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है और उन्हें संबंधित हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने की सलाह दी है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की पीठ ने हाई कोर्ट से कहा है कि वह इस मामले की त्वरित सुनवाई सुनिश्चित करे। वहीं चैतन्य बघेल की रिमांड खत्म होने के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया। जहां कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया है।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि भूपेश और चैतन्य बघेल मनी लॉन्ड्रिंग कानून (PMLA) के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ED) को दिए गए अधिकारों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देना चाहते हैं जैसे कि जांच, गिरफ्तारी और पूछताछ संबंधी प्रावधान तो इसके लिए उन्हें एक अलग याचिका दाखिल करनी होगी। शीर्ष अदालत ने कहा है कि यदि वे ऐसा करते हैं, तो उनकी याचिका 6 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में विचार के लिए ली जाएगी।
ये भी पढ़ें: ड्राइवर को झपकी आई तो कार पत्थर से टकराकर नाले में गिरी, भाजयुमो मंडल अध्यक्ष समेत 2 की मौत
चैतन्य बघेल ने यह याचिका प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की संभावित गिरफ्तारी से बचने के लिए दाखिल की थी। उन्हें ईडी ने कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए तलब किया था। इस केस में अब तक कई बार ईडी की पूछताछ हो चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका लगाई थी। इसमें CBI और ED की जांच की शक्तियों और उसके अधिकार क्षेत्र को चुनौती दी गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट जाने की सलाह देते हुए सुनवाई से इंकार कर दिया। SC ने छत्तीसगढ़ HC से याचिका पर जल्द कार्रवाई करने को कहा है।
बता दें कि गौरतलब है कि ईडी शराब घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से जांच कर रही है और इस सिलसिले में कई लोगों से पूछताछ हो चुकी है। चैतन्य बघेल को भी पहले ईडी ने तलब किया था। गिरफ्तारी की आशंका के चलते उन्होंने अग्रिम राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन अब उन्हें हाई कोर्ट में अपनी अर्जी लगानी होगी।
ये भी पढ़ें: इस वेबसाइट से जान सकेंगे 3800 सरकारी योजनाएं, ऐसे जानें आप पात्र हैं या नहीं
भाजपा ने साधा निशाना
इस मामले को लेकर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि चोर के दाढ़ी में तिनका कवाहवत चरितार्थ भी होता है। जब गड़बड़ नहीं किए हैं तो क्यों सुप्रीम कोर्ट भाग रहे हैं? जांच एजेंसियां का सामना करना चाहिए, जांच एजेंसियां स्वतंत्र हैं। कार्यवाही सबूतों के आधार पर हुई है। कवासी लखमा का मामला हो या अधिकारियों का। साय सरकार सुशासन के लिए प्रतिबद्ध है. हमारी सरकार उस दिशा में लगातार काम कर रही है।