BILASPUR NEWS. सिम्स (छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) में डॉक्टरों को दिए जा रहे भोजन को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने पाया कि डॉक्टरों का खाना खुले में और प्रतिबंधित पॉलीथिन में परोसा जा रहा है, जिससे न केवल स्वच्छता बल्कि स्वास्थ्य सुरक्षा भी खतरे में है।
बता दें, हाईकोर्ट ने इस अव्यवस्था को गंभीर मानते हुए सिम्स के डीन और बिलासपुर कलेक्टर से शपथ पत्र के साथ विस्तृत जवाब तलब किया है। कोर्ट ने पूछा है कि जब पॉलीथिन पर राज्य में प्रतिबंध है, तो फिर उसका उपयोग क्यों हो रहा है? साथ ही यह भी स्पष्ट करने को कहा है कि डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को स्वच्छ और सुरक्षित भोजन सुनिश्चित करने के क्या प्रयास किए जा रहे हैं। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी उस समय की जब एक जनहित याचिका पर सुनवाई हो रही थी, जिसमें सिम्स अस्पताल की दुर्दशा, गंदगी, खराब प्रबंधन और पॉलीथिन जैसे प्रतिबंधित सामग्री के इस्तेमाल की तस्वीरें कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की गईं थीं।
याचिका में यह भी बताया गया कि डॉक्टरों का खाना धूल-मिट्टी वाले खुले स्थानों में रखकर परोसा जा रहा है, जिससे संक्रमण का खतरा और अधिक बढ़ जाता है। कोर्ट ने इसे “स्वास्थ्य सुविधाओं की उपेक्षा” करार देते हुए अगली सुनवाई में ठोस जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने कहा जब डॉक्टरों का ही खाना खुले में और पॉलीथिन में रखा जा रहा है, तो मरीजों के इलाज और साफ-सफाई की स्थिति का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि अस्पताल में स्वास्थ्यकर्मियों और मरीजों दोनों के लिए सुरक्षित, स्वच्छ और सम्मानजनक माहौल सुनिश्चित करना प्रशासन की जिम्मेदारी है।