BILASPUR NEWS. शहर की बंद पड़ी सिटी बस सेवा के मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने परिवहन आयुक्त के झूठे शपथपत्र पर सख्त नाराज़गी जताई है। अदालत ने इसे न्यायालय की अवमानना करार देते हुए आयुक्त को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया है।
मामला जनहित याचिका की सुनवाई से जुड़ा है। 22 जुलाई को परिवहन आयुक्त ने हलफनामे में दावा किया था कि बिलासपुर में पांच सिटी बसें चल रही हैं और एक बस जल्द शुरू होगी। साथ ही सभी बसों का बीमा, फिटनेस और टैक्स पूरा बताया गया था। लेकिन हकीकत यह है कि महज़ 20 दिन बाद ही पूरी सिटी बस सेवा ठप हो गई।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने इस स्थिति को अत्यंत गंभीरता से लिया और स्वतः संज्ञान लेते हुए योजनाओं में देरी और जवाबदेही की कमी पर कड़ी नाराज़गी ज़ाहिर की। विशेष रूप से, कोर्ट ने परिवहन विभाग की जवाबदेही पर सवाल उठाए और परिवहन सचिव को उपस्थित होकर याचिका में जवाब देने का निर्देश दिया ।
कोर्ट ने कहा कि इस तरह का भ्रामक शपथपत्र गंभीर अपराध है और इससे न केवल जनता को असुविधा हुई, बल्कि न्यायालय की गरिमा भी प्रभावित हुई है। अदालत ने पूछा—ऐसे में परिवहन आयुक्त के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई क्यों न की जाए।
इससे पहले भी हाईकोर्ट ने शहर में सार्वजनिक परिवहन की बदहाल स्थिति पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सरकार से ई-बस सेवा और सुधारात्मक कदमों की जानकारी मांगी थी। सुनवाई आज होगी, जिसमें परिवहन आयुक्त को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर जवाब देना होगा।