BILASPUR NEWS. बिलासपुर-हाईकोर्ट ने पिता की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका इसलिए खारिज कर दी कि बेटी अपने पिता के बजाय पति के साथ रहना चाहती है। एसडीएम कोर्ट में उसने इकबालिया बयान भी दिया है। पिता ने अपनी बेटी को जबरदस्ती कैद में रखने का आरोप लगाते हुए उसे कोर्ट में पेश कराने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि जब बेटी बालिग है और उसने अपनी मर्जी से शादी की है, तो उसे जबरदस्ती कोर्ट में बुलाने की कोई वजह नहीं बनती।


दरअसल, बिलासपुर के भारतीय नगर में रहने वाले एक व्यक्ति ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की थी। उन्होंने कहा कि उनकी 25 साल की बेटी 18 मई 2025 को मॉल में फिल्म देखने गई थी, लेकिन वापस नहीं लौटी, तो थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। पिता का आरोप था कि उनकी बेटी को दो लोगों ने जबरन अपने कब्जे में रखा है, और उसे छुड़ाकर कोर्ट में पेश किया जाए।

राज्य सरकार की ओर से जवाब दिया गया कि लड़की बालिग है, वह 25 साल की।है। उसे 24 मई को एसडीएम के सामने पेश किया गया, जहां उसने स्वेच्छा से बयान दिया कि उसने मोहम्मद अज़हर नाम के युवक से अपनी मर्जी से शादी की है और वो उसके साथ खुश है। उन्होंने कोर्ट में शादी का प्रमाण पत्र भी पेश किया।

मुख्य न्यायाधीश ने दोनों पक्षों की दलीलें और दस्तावेज देखने के बाद कहा कि लड़की बालिग है और उसने अपने अधिकार से शादी की है, इसलिए उसे जबरदस्ती कोर्ट में बुलाने की कोई जरूरत नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि लड़की ने अपने बयान में साफ कहा है कि वह किसी दबाव या बंधन में नहीं है और अपने पति के साथ रहना चाहती है। इसलिए कोर्ट ने पिता की याचिका खारिज कर दी।