BILASPUR NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में महामाया मंदिर रतनपुर के कुंड में कछुओं की मौत के मामले में लगातार सुनवाई चल रही है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा के बेंच में चल रही है। उन्होंने सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणी की। साथ ही डीफएओ को जमकर फटकार लगाते हुए नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि डीएफओ कौन है कितने पढ़े है आएफएस रैंक के अधिकारी है। उन्हें तो पता होना चाहिए कि क्या केस दर्ज करना है। चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता के अग्रिम जमानत याचिका को मंजूरी दी।
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बता दें, बीते माह महामाया मंदिर ट्रस्ट परिसर स्थित कुंड में कुल 24 कछुओं की मौत हो गई थी। इसकी जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से हुई थी। हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की थी। इसमें वन विभाग ने जांच किया और तीन लोगों पर वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की धारा 9 के तहत मामला दर्ज कर लिया। इसके तहत मंदिर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष व पुजारी सतीश शर्मा को आरोपी बनाया गया। साथ्ज्ञ ही अन्य दो लोगों की गिरफ्तारी भी हुई।
इस पर आरोपी बनाए गए उपाध्यक्ष सतीश शर्मा ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की। इस याचिका के सुनवाई के दौरान कोर्ट ने वन विभाग के डीएफओ पर जमकर नाराजगी जताई। चीफ जस्टिस ने टिप्पणी करते हुए कहा कि डीएफओ आइएफएस रैंक के अधिकारी है। उन्हें मालूम नहीं है क्या कि कौन से अपराध के लिए कौन सा अधिनियम लगाया जाना चाहिए।
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कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिका को स्वीकार किया। याचिकाकर्ता के वकील ने सतीश शर्मा का पक्ष रखते हुए बताया कि समिति के निर्णय से ही कुंड की सफाई कराई गई थी। इस मामले में वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 9 के तहत केस दर्ज किया गया है। यह एक्ट शिकार के लिए होता है लेकिन आरोपी सतीश शर्मा पर शिकार का आरोप नहीं है। उन पर आरोप है कि उन्होंने सफाई के लिए ताला खुलवाने के लिए परमिशन दी थी। जिसके बाद सफाई के दौरान कछुओं की मौत हुई थी।
रात को सफाई कराने के पर कोर्ट ने प्रश्न भी उठाया लेकिन वकील ने जवाब देते हुए बताया कि नवरात्रि होने के कारण ही रात में सफाई कराया गया था। ऐसे में कछुओं की मौत हुई तो इसमें शिकार का मामला तो बनता ही नहीं है। याचिकाकर्ता ने केवल सफाई के लिए ताला खोला था शिकार नहीं किया है। कुंड में फूल-पत्ती व पूजा की सामग्री को विसर्जित किया जाता है। इस वजह से गंदगी होने के कारण सफाई कराई गई थी। इस पर कोर्ट ने उनकी याचिका को स्वीकार कर अग्रिम जमानत को मंजूरी दी।
डीएफओ पर जताई नाराजगी
चीफ जस्टिस ने डीएफओ पर जमकर नारजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि डीएफओ को पता होना चाहिए कि किस मामले में क्या केस दर्ज किया जाता है। आखिर आईएफएस रैंक के अधिकारी है। उन्होंने डीएफओ से इस पर शपथ पत्र में जवाब भी मांगा है।