RAIPUR NEWS. साय सरकार भूपेश बघेल की सरकार के समय भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर दर्ज किए गए मामले वापस ले रही है। पिछले दिनों इसको लेकर सभी पुलिस अधीक्षकों को मामले की विवेचना कर रिपोर्ट तैयार को कहा गया था। साय सरकार ने विवेचना के बाद 110 मामले वापस ले लिए हैं। अन्य प्रकरणों की विवेचना की जा रही है । वही इसको लेकर सियासत भी शुरू हो रही है। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा राजनीतिक मामलों की आड़ में गुंडागर्दी और पुलिस पर किए गए हमले के मामले भी वापस ले रही है।
साय कैबिनेट में पिछले दिनों भूपेश बघेल की सरकार के समय भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज किए गए राजनीतिक मामलों को वापस लेने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत जिले के सभी पुलिस अधीक्षकों को ऐसे मामलों की विवेचना कर रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया था। बुधवार को गृह मंत्री विजय शर्मा की उपस्थिति में हुई पुलिस अफसर की बैठक में इसको लेकर निर्णय लिया गया।
हम आपको बता दें कि कांग्रेस के कार्यकाल में भाजपा भाजपा के नेता और कार्यकर्ताओं पर विरोध प्रदर्शन, धरना, रैली के दौरान ये केस दर्ज हुए हैं। इनमें अधिकांश सड़क पर बवाल करने, ट्रैफिक रोकने, पुलिस से झूमाझटकी करने जैसे मामले हैं। गृह मंत्री विजय शर्मा के खिलाफ भी मामला दर्ज है। गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि पिछली सरकार ने बड़ी निष्ठुरतापूर्वक और कठोरता से विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए विभिन्न मामले दर्ज किए थे , इसमें विवेचना के बाद 101 प्रकरण वापस हो चुके हैं और प्रकरणों पर विचार चल रहा है।
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राजनीतिक मामलों की आड़ में गुंडागर्दी : कांग्रेस का आरोप
इस पर पूर्व संसदीय सचिव विकास उपाध्याय का कहना है कि साय सरकार राजनीतिक मामलों की आड़ में गुंडागर्दी, पुलिस के साथ मारपीट, दुर्व्यवहार, सरकारी संपत्तियों में को नुकसान पहुंचाने के आपराधिक मामलों को भी वापस ले रही है । उन्होंने सरकार से सवाल किया कि क्या इसके तहत केवल भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के ही मामले वापस लिए जाएंगे ? साथी उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी की 15 साल की सरकार में कांग्रेस के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं पर दुर्भावनावश मामले दर्ज किए गए थे उन्हें भी वापस लिए जाने चाहिए ।
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वहीं पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि हर सरकार राजनीतिक प्रकरणों की समीक्षा करती है। समय-समय पर इन केस को वापस भी लिया जाता है । सरकार को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सिर्फ BJP के केस ही नहीं अन्य दूसरे दलों के भी राजनीतिक केस वापस हो । गुण दोष के आधार पर केस वापस होने चाहिए, अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के केस वापस न हो इसका ध्यान रखा जाना चाहिए ।
राजनीतिक मामलों की वापसी को लेकर मंत्रिमंडल उप समिति की बैठक भी होने वाली है जिसमें राजनीतिक मामलों की समीक्षा की जाएगी । पिछली सरकार के समय इसी तरह के 27 मामले वापस किए गए थे। अब देखना ये होगा कि भाजपा सरकार अपने कितने कार्यकर्ताओं को पुलिस और कोर्ट कचहरी के चक्कर से मुक्त कर पाती है।