BILASPUR NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने आंगनबाड़ी केन्द्रों में भोजन के मानकों पर सख्त रूख अपनाया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस एके प्रसाद के बेंच में सुनवाई हुई। आंगनबाड़ी केन्द्रों में अच्छा भोजन मिल रहा है या नहीं इस बात की पुष्टि के लिए कोर्ट कमिश्नरों को पड़ताल करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि अफसरों ने जो जानकारी शपथ पत्र में दी है उसकी पड़ताल करें कि वो सब सही है या नहीं।
बता दें, दुर्ग जिले की आंगनबाड़ी में बच्चों को फल और दूध न दिए जाने की खबरे मीडिया में आयी थी। उसी आधार पर इस मुद्दे को उठाया गया। इसके बाद इस मामले को गंभीरता से लेते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर सुनवाई शुरू की। मामले की सुनवाई के दौरान सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग ने आंगनबाड़ी केन्द्रों में भोजन व्यवस्था पर अपनी जानकारी पेश की।
हाईकोर्ट ने कोर्ट कमिश्नरों को निर्देश दिया कि वे अपनी निरीक्षण रिपोर्ट का तुलनात्मक अध्ययन कर सचिव द्वारा प्रस्तुत जानकारी की जांच करें। कोर्ट का यह सख्त रूख अधिकारियों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। यदि जांच में कोई भी जानकारी या अनियमितता पायी गई तो अधिकारियों को खतरा होगा।
कोर्ट ने किया कोर्ट कमिश्नर नियुक्त
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने कोर्ट कमिश्नर के तौर पर एडवोकेट अमियकांत तिवारी, सिद्धार्थ दुबे, आशीष बेक और ईशान वर्मा को नियुक्त किया है। साथ ही उन्हें यह निर्देश दिया है कि वे आंगनबाड़ी केन्द्रों का निरीक्षण कर वस्तुस्थिति की जानकारी प्रस्तुत करें। इसके साथ ही महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव और अन्य अधिकारियों को शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने के निर्देश दिए थे।