BHILAI NEWS. डॉ खूबचंद बघेल शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय भिलाई-3 में ‘जनजाति उत्सव’ मनाया गया। कार्यक्रम में जनजातीय संस्कृति के विभिन्न कलाओं का और आदिवासी सांस्कृतिक उत्सव की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। ‘छत्तीसगढ़ जनजाति समाज के गौरवशाली अतीत एवं योगदान’ पर इतिहासकार डॉ के. के.अग्रवाल का व्याख्यान कार्यक्रम एवं आदिवासी समूह नृत्य प्रतियोगिता आयोजित किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि डॉ के के अग्रवाल, पूर्व प्राध्यापक डॉ खूबचंद बघेल महाविद्यालय एवं विशेष अतिथि डॉ अमृता कस्तूरे, प्राचार्य, डॉ खूबचंद बघेल महाविद्यालय द्वारा दीप प्रज्वलन कर जनजातीय संस्कृति के विविध पहलुओं – घरेलू उपयोग के साधनों, चित्रकारी कला, वस्त्र – आभूषण, नृत्य पर पोस्टर निर्माण, छायाचित्र प्रदर्शनी, नृत्य, गोदना, संस्कार कार्य, सांस्कृतिक उत्सव की प्रदर्शनी, का शुभारंभ किया गया।
इस मौके पर छत्तीसगढ़ में ‘जनजाति संस्कृति उद्भव से स्वतंत्रता काल तक’ व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एवं मुख्य अतिथि डॉ के के अग्रवाल एवं प्राचार्य द्वारा मां सरस्वती, भारत माता, एवं छत्तीसगढ़ महतारी प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन कर प्रारंभ किया गया। मुख्य अतिथि डॉ अग्रवाल का स्वागत पुष्प पौधे से किया गया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि का स्वागत डॉ भारती सेठी द्वारा पुष्प पौध देकर किया गया।
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प्राचार्य द्वारा कार्यक्रम के आयोजक टीम को बधाई देते हुए कहा कि ‘यह कार्यक्रम हमें अपने जनजातीय गौरवशाली परंपराओं का ज्ञान नई पीढ़ी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण साबित होगी। आदिवासियों को हमसे नहीं, हमें आदिवासियों से प्रकृति का संरक्षण सीखना चाहिए।’
डॉ अग्रवाल ने ‘पाषाण काल, लौह पाषाण काल से छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के उन्नत तकनीक- ढलवा कला, गड़वा कला के साथ राष्ट्रीय चेतना एवं स्वतंत्रता आंदोलन में जनजाति समाज के योगदान एवं नेतृत्व पर विस्तार से जानकारी दी।
इस अवसर पर 22 अक्टूबर 24 को विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की गई थी। जिनमें फ्लेक्स निर्माण में मीनाक्षी साहू, पोस्ट निर्माण में मानसी साहू, गोदना प्रतियोगिता में पूरब सारथी, आदिवासी जीवन को दर्शाते मॉडल निर्माण में जागृति समूह प्रथम स्थान पर रहे। प्राचार्य एवं मुख्य अतिथि द्वारा उपरोक्त विजेता प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह एवं प्रमाण पत्र देकर प्रोत्साहित किया गया।