MUMBAI NEWS. टाटा संस के मुखिया और समाजसेवी उद्योगपति रतन टाटा का मुंबई में 9 अक्टूबर को निधन हो गया है। वो पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। सोमवार को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उनको एडमिट कराया गया था। 86 साल की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली। रतन टाटा पारसी समुदाय से थे। पारसी समुदाय के अंतिम संस्कार का तरीका एकदम अलग होता है। लेकिन रतन टाटा का अंतिम संस्कार पारसी रीति रिवाजों से नहीं किया जाएगा। उनका अंतिम संस्कार वर्ली स्थित इलेक्ट्रिक अग्निदाह में होगा।
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रतन टाटा के पार्थिव शरीर को ब्रीच कैंडी अस्पताल से कोलाबा स्थित उनके घर ले जाया गया था। उनके लिए पोर्टेबल कोल्ड स्टोरेज शवगृह की व्यवस्था की गई है आज अंतिम दर्शन के लिए शाम 4 बजे तक नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (एनसीपीए) में रतन टाटा के शव को रखा गया था। बता दें, उनके अंतिम दर्शन के लिए कई सारे बिजनेसमैन, एक्टर और राजनेता पहुंच थे। यहां से पार्थिव शरीर को वर्ली स्थित इलेक्ट्रिक अग्निदाह के लिए ले जाया गया है।
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साइरस मिस्त्री का भी पारसी रीति रिवाज से नहीं हुआ था अंतिम संस्कार
टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री का अंतिम संस्कार पारसी रीति-रिवाज से न होकर इलेक्ट्रिक अग्निदाह में किया गया था। ठीक उसी तरह रतन टाटा का भी अंतिम संस्कार किया जाएगा। बता दें, महाराष्ट्र के पालघर में 4 सितंबर 2022 को रोड एक्सीडेंट में साइरस मिस्त्री की मृत्यु हुई थी।
ऐसी होगी अंतिम संस्कार की विधि
वर्ली के पारसी शमशान में रतन टाटा के पार्थिव शरीर को प्रार्थना हॉल में रखा गया है। पहले 45 मिनट तक प्रार्थना होगी उसके बाद प्रार्थना हॉल में पारसी रीति से ‘गेह-सारनू’ पढ़ा जाएगा। उसके बाद रतन टाटा के मुंह पर एक कपड़े का टुकड़ा रख कर ‘अहनावेति’ का पहला पूरा अध्याय पढ़ा जाएगा। इसके बाद अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पार्थिव शरीर को इलेक्ट्रिक अग्निदाह में रख कर पूरी की जाएगी।
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