BILASPUR. अंबिकापुर के कार्मेल कॉन्वेंट स्कूल में पढ़़ने वाली कक्षा आठवीं की छात्रा ने 7 फरवरी 2024 को फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली थी। उसने सुसाइड नोट में स्कूल की शिक्षिका पर प्रताड़ना का आरोप लगाया था। पुलिस ने शिकायत पर आईपीसी की धारा 305 के तहत एफआईआर दर्ज की थी। विवेचना के बाद पुलिस ने चार्जशीट कोर्ट में पेश की है। इसे निरस्त करने शिक्षिका ने हाईर्काट में याचिका दायर की थी। सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ने माना कि अनुशासन के नाम पर बच्चों को प्रताड़ित करना सही नहीं है। छात्रा की सुसाइड के लिए शिक्षिका को जिम्मेदार भी माना।
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बता दें, आरोपित शिक्षिका ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। इसमें खुद के खिलाफ प्रस्तुत चार्जशीट को निरस्त करने की मांग की थी। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल के बेंच में हुई। कोर्ट ने शिक्षिका की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने इस पूरे मामले में तल्ख टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि स्कूल में अनुशासन के ना मपर बच्चों को प्रताड़ित करना सर्वथा अनुचित है।
बच्चों को संवैधानिक अधिकार से पूरी तरह सुरक्षित रखा गया है। उनके अधिकरों का हनन सिर्फ इसलिए नहीं किया जा सकता क्योंकि वे बच्चें है और छोटे है। जितना अधिकार व्यस्क को संविधान में दिया गया है बच्चों को भी उसी अनुरूप अधिकार सम्पन्न बनाया गया है। शारीरिक दंड बच्चों की गरिमा के अनुरूप नहीं है। कोर्ट ने फैसले में यह भी लिखा है कि बच्चों को शारीरिक व मानसिक दंड से उनके जीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है बाल मन पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव का असर परिवार के सदस्यों को भी भुगतना पड़ता है।
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हिंसा का कोई भी कार्य जो बच्चे को आघात पहुंचाता है आतंकित करता है या उसकी क्षमताओं पर विपरीत असर डालता है वह भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत आता है। सरकार का यह दायित्व है कि वह बच्चे को सभी प्रकार की शारीरिक या मानसिक हिंसा, अपमानजनक व्यवहार, यौन शोषण से सुरक्षित करने विधायी, प्रशासनिक, सामाजिक और शैक्षिक उपाय करें।
पढ़ें क्या है पूरा मामला
अंबिकापुर के कार्मेल कॉन्वेंट स्कूल में शिक्षिका सिस्टर मर्सी उर्फ एलिजाबेथ जोस के खिलाफ अंबिकापुर के मणिपुर थाने में शिकायत दर्ज हुई थी। इसमें छठवीं की छात्रा को आत्महत्या के लिए प्रताड़ित और उत्प्रेरित करने का आरोप लगाया गया था। छात्रा कार्मेल स्कूल में केजी-2 से ही पढ़ाई कर रही थी।
दर्रीपारा निवासी आलोक कुमार सिन्हा पेशे से इंजीनियर है। उनकी 12 वर्षीय इकलौती बेटी अर्चिशा सिन्हा ने शिक्षिका की प्रताड़ना से परेशान होकर रात के 11 बजे पंखे के सहारे फांसी लगाकर जान दे दी। छात्रा ने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा था। इसमें उसने स्कूल की शिक्षिका पर कई दिनों से प्रताड़ित व कक्षा में दोस्तों के सामने अपमानित करने का आरोप लगाया था।