RAJIM. छत्तीसगढ़ में तीन के दौरे पर पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चंपारण में चंपेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना की। इसके साथ ही महाप्रभु वल्लभाचार्य आश्रम में पत्नी सोनल शाह संग पूजा-अर्चना की। शाह ने यहां शिवलिंग पर जलाभिषेक भी किया। इस दौरान आश्रम की ओर से शाह को महाप्रभु वल्लभाचार्य की प्रतिमा भी भेंट की गई। इस दौरान शाह के साथ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा भी मौजूद रहे। यहां रायपुर के सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने शाह का स्वागत किया।
गृह मंत्री के दौरे की तैयारियों के मद्देनजर शुक्रवार को बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स का हेलीकॉप्टर नवागांव के गौठान के बाजू में उपमंडी प्रांगण में निर्मित हेलीपैड पर ट्रायल के लिए लैंड किया। महज पांच मिनट में वेरीफाई करके हेलीकॉप्टर फिर वापस उड़ान भर करके गंतव्य की ओर रवाना हो गया। अधिकारियों ने बताया कि गृह मंत्री अमित शाह की सुरक्षा पांच लेयर में होंगी, जहां 600 जवान, 25 राजपत्रित अधिकारी तथा 6 आईपीएस की ड्यूटी उनके सुरक्षार्थ रखे गए हैं। ये सभी टीमें क्रमश: बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग से आ रही हैं।
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अमित शाह के साथ गृह मंत्रालय के आला अफसर भी रायपुर पहुंचे हैं। केंद्रीय गृहमंत्री तीन दिन तक रायपुर में ही रहेंगे। शाह गृह विभाग की हर छोटी-बड़ी अपडेट रायपुर से ही लेंगे। आस-पास के राज्यों में नक्सल मूवमेंट की रिपोर्ट भी अफसरों से गृह मंत्री लेने वाले हैं। छत्तीसगढ़ के डीजीपी भी इसे लेकर रिपोर्ट तैयार करके बैठे हैं, जिसका प्रेजेंटेशन अमित शाह की मीटिंग में होगा। प्रदेश, झारखंड, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल के पुलिस प्रमुख शामिल हो सकते हैं। इसके साथ ही बैठक में अर्द्धसैनिक बलों के ऑफिसर भी शामिल होंगे। बैठक में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नक्सल विरोधी अभियान और विकास कार्यों की समीक्षा की जाएगी।
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पहले भी अपनी माता जी के साथ चंपारण आ चुके हैं शाह
गृह मंत्री अमित शाह का चंपारण से पुराना नाता है। इसके पहले अमित शाह 2001 में अपनी माताजी को लेकर चम्पारण आए थे। जब वे गुजरात राज्य की राजनीति में थे। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में जरूर स्टार प्रचारक के रूप में आने वाले थे। सारी व्यवस्था भी हो चुकी थी, मंच तैयार था और पब्लिक भी आ चुकी थी, पर ऐन वक्त में उनका कार्यक्रम निरस्त हो गया था। तब चन्द्रशेखर साहू भाजपा के प्रत्याशी थे। पंचकोसी का प्रमुख होने के साथ ही चंपारण वल्लभाचार्य की जन्मभूमि भी है जिनका संबंध गुजराती समाज से है। इसके कारण बारहों महीने समाज की भीड़ यहां देखने को मिलती है।
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