BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में असम से लाए गए वन भैंसों को वापस भेजने के मांग को लेकर याचिका दायर की गई है। जनहित याचिका की सुनवाई कोर्ट में हुई। याचिका में वन भैंसों को कैद करके रखने की बात बताई गई है। ब्रिडिंग के लिए लाए व भैंसों को जंगल में छोड़ने के बजाए कैद कर रखा गया है। इसलिए मांग की गई है कि उन्हें वापस असम भेज दिया जाए। कोर्ट ने राज्य शासन से वन भैंसों के विषय में जानकारी देने नोटिस जारी किया है।
बता दें, वन भैंसों की आबादी बढ़ाने के लिए वन विभाग की योजना को केंद्रीय जू अथारिटी ने नामंजूर कर दिया है। इसके चलते असम से लाए पांच मादा व एक नर वनभैंसों को बारनवापारा के जंगल में ही कैद कर रख दिया गया है। इसे लेकर जनहित याचिका नितिन सिंघवी ने दायर की है और इन वन भैंसों को वापस असम भेजने की मांग की है।
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सुनवाई करते हुए वन विभाग से इस विषय में जवाब मांगा है। इसके अलावा राज्य शासन को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जवाब के लिए चार सप्ताह की मोहल दी है।
इस योजना के तहत लाए थे वन भैंसों को
वन भैंसों के संरक्षण की योजनाओं की विफलता और उनकी आबादी में गिरावट के चलते छत्तीसगढ़ वन विभाग असम से एक नर और एक मादा वनभैंसा वर्ष 2020 में और चार मादा वन भैंसा अप्रैल 2023 में लाया। इन्हें बारनवापारा अभ्यारण्य में आजीवन कैद करके रखने और ब्रीडिंग प्लान को केन्द्रीय जू अथारिटी ने नामंजूर कर दिया।
याचिका में वन भैंसों को वापस भेजने की मांग
प्लान को केन्द्रीय जू अथारिटी ने नामंजूर कर दी। इसके बाद याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी ने कोर्ट को जानकारी दी। बताया गया कि असम राज्य से अप्रैल 2023 में लाए गए चार मादा वन भैंसों को 45 दिनों में जंगल में छोड़ा जाएगा। वहीं एक वर्ष से अधिक समय हो गया है। मादा वन भैंसों को अभी भी बारनवापारा अभ्यारण्य में कैद में रखा गया है। 2020 में लाए गए एक नर और एक मादा को भी कैद में रखा गया है।
असम से इन जंगली भैंसों को छत्तीसगढ़ के जंगली वन भैंसा से क्रास कराकर आबादी बढ़ाने के लिए लाया गया था। छत्तीसगढ़ में केवल एक शुद्ध नस्ल का नर छोटू है। जिसकी आयु वर्तमान में 22-23 वर्ष है और इतनी अधिक आयु होने के कारण उसे प्रजनन के लिए अयोग्य माना जाता है। इसी वजह से केन्द्रीय जू अथारिटी ने इस योजना को नामंजूर कर दिया।