BILASPUR. किसी भी व्यक्ति को गुंडा साबित करने के लिए सबसे पहले उस पर अपराध दर्ज होता है, नोटिस दी जाती है और फिर जब नोटिस का जवाब नहीं देता है तो उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा जाता है। लेकिन इन सबके बिना भी गुंडे की लिस्ट में नाम आना एक बहुत ही गंभीर मामला है। रायगढ़ के आशुतोष इसी बात को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिका में बताया कि चुनाव के दौरान गुंडो की लिस्ट में उनका नाम है। जबकि उन्होंने कुछ नहीं किया है उन्होंने कार्रवाई पर रोक लगाने याचिका लगाई है।
बता दें, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में गुंडो की लिस्ट में नाम आने पर याचिकाकर्ता ने याचिका दायर कर गुहार लगाई है। कोर्ट में मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने की। कोर्ट ने कहा कि बिना किसी प्रक्रिया के किसी को भी गुंडा नहीं घोषित कर सकते हैं।
ऐसे में तो किसी को भी गुंडा बना दिया जाएगा। कोर्ट ने याचिकाकर्ता का नाम सूची में शामिल करने पर अंतरिम रोक लगाते हुए राज्य शासन और पुलिस को नोटिस जारी किया है।
क्या है मामला
रायगढ़ जिले के तमनार निवासी आशुतोष बोहिदार की मां के नाम पर जमीन और आवास है। जिंदल यहां पर पॉवर प्लांट लगाने के लिए जमीन लेने की प्रक्रिया कर रहा था। इसका आशुतोष ने विरोध किया। इस पर उसके खिलाफ थाने में 4-5 अलग-अलग मामले दर्ज करा दिए गए।
साथ ही जून 2022 में उसका नाम गुंडा सूची में भी शामिल कर दिया गया। चुनाव के दौरान गुंडा सूची पुलिस ने जारी की तो आशुतोष को इसकी जानकारी हुई। उसने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी निकलवाई तो पता चला कि उसके खिलाफ 5 मामले दिर्ज है। इसमें शांतिभंग, धमकी देने, हमले जैसे कई प्रकरण शामिल है।
आशुतोष ने अधिवक्ता हरि अग्रवाल के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसमें बताया कि पुलिस ने जिन प्रकरणों का आरोपी बनाया गया है। उसकी जानकारी उसे ही नहीं है। बिना किसी नोटिस, समंस या प्रक्रिया के उसको गुंडा घोषित कर सूची में शामिल भी कर दिया।
जबकि न तो वह किसी प्रकरण में थाने, लॉकअप या जल गया है न कभी उसकी कोई पेशी हुई। गुंडा सूची में शामिल होने वाले आदतन बदमाश, सजायाफ्ता या आपराधिक प्रवृत्ति के लोग होते है। इसलिए उसका नाम सूची से हटाकर कार्रवाई पर रोक लगाई जाए।