DELHI. नौतपा के छठवें दिन पारा आसमान छू रहा है। बुधवार को दिल्ली के मुंगेशपुर इलाक़े में तापमान 52.3 डिग्री तक दर्ज किया गया, जो दिल्ली के इतिहास का सबसे अधिक तापमान है। मौसम विभाग ने इसके पीछे एल नीनो (el nino) को भी एक कारण माना है। इसके साथ ही एल नीनो को लेकर एक अच्छी खबर भी दी है।
क्या होता है एल नीनो (el nina) इफ़ेक्ट और कैसे बढ़ती है इससे गर्मी
प्रशांत महासागर में सामान्य परिस्थितियों के दौरान, व्यापारिक हवायें भूमध्य रेखा के साथ पश्चिम की ओर बहती हैं। ये हवायें गर्म पानी को दक्षिण अमेरिका से एशिया की ओर ले जाती हैं। उस गर्म पानी भरी हवाओं के कारण ठंडा पानी भाप के रूप में गहराई से ऊपर उठता है। अल नीनो के दौरान व्यापारिक हवाएँ कमजोर हो जाती हैं। गर्म पानी से भरी हवा को पूर्व की ओर, अमेरिका के पश्चिमी तट की ओर धकेल दिया जाता है।
स्पैनिश में अल नीनो का मतलब छोटा लड़का होता है। दक्षिण अमेरिकी मछुआरों ने पहली बार 1600 के दशक में प्रशांत महासागर में असामान्य रूप से गर्म पानी से भरी हवायें देखी। उन्होंने जो पूरा नाम इस्तेमाल किया वह एल नीनो डी नविदाद था, क्योंकि एल नीनो आमतौर पर दिसंबर के आसपास चरम पर होता है। एल नीनो का प्रभाव आठ से बारह महीनों तक होता है पर कभी कभी इसकी अवधि बढ़ जाती है।
इस बार के एल नीनो की अवधि भी एक साल से अधिक की हो गई है। इसी वजह से समुद्री सतह का पानी लगातार गर्म होने के कारण साल 2024 की गर्मी जानलेवा साबित हो रही है। जनवरी 2023 से एल नीनो का प्रभाव है। इसके कारण इस साल अभी तक के इतिहास के सबसे गर्म जनवरी, फ़रवरी, मार्च और अप्रैल महीने दर्ज किए गए हैं।
भारत में एल नीनो का प्रभाव
समुद्री सतह का पानी लगातार गर्म होने के कारण भारतीय उपमहाद्वीप में एल नीनो के प्रभाव से गर्म हवायें बहती है। इससे सूखे की स्थिति बन जाती है। इसकी वजह से गर्मी के मौसम में हीटवेव्स चलने लगती है और तापमान में लगातार वृद्धि होती है। बुधवार को दिल्ली का तापमान 52.3 डिग्री तक पहुँच गया। केरला, जहां आमतौर पर हीटवेव्स की चेतावनी नहीं दी जाती है, इस साल वहाँ भी हीटवेव्स की चेतावनी दी गई है।
ला नीना (la nina) से मिलेगी राहत
मौसम विभाग ने बताया है की एल नीनो का प्रभाव इस साल जुलाई अगस्त के महीने तक ख़त्म हो सकता है और फिर ला नीना का प्रभाव बढ़ जाएगा। ला नीना का प्रभाव अल नीनो से विपरीत होता है। ला नीना घटनाओं के दौरान, व्यापारिक हवाएँ सामान्य से भी अधिक तेज़ होती हैं, जो अधिक गर्म पानी को एशिया की ओर धकेलती हैं। अमेरिका के पश्चिमी तट पर, उथल-पुथल बढ़ जाती है। इससे ठंडा, पोषक तत्वों से भरपूर पानी सतह पर आ जाता है। इससे हवाओं में ठंडकता बढ़ जाती है और मानसून भी औसत से ज़्यादा होता है।
एल नीनो के प्रभाव के कारण पिछला पूरा एक वर्ष लगातार गर्म रहा है पर ला नीना के आने के बाद गर्म महीनों से आराम मिलने के आसार दिख रहे हैं और हो सकता है कि अगले साल की गर्मी राहत भरी हो सकती है।