BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में पति के मृत्यु के बाद ठुकराई गई पत्नी व उसकी नाबालिग बच्ची को न्याय दिया है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई जस्टिस पीपी साहू के बेंच में हुई।सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि पिता की मृत्यु के बाद बेटा हो या बेटी नाबालिग होने पर भी वह संपत्ति का हकदार है। कोर्ट ने मामले के अंतिम निराकरण तक पैतृक संपत्ति की कमाई से बेटी को 30 हजार रुपये प्रतिमाह भरण पोषण राशि देने का आदेश दिया है।
बता दें, याचिका में अपीलकर्ता अनिल मिश्रा ने बताया कि उनके भाई सुनील मिश्रा की शादी 30 जून 2011 को दुर्ग निवासी नीता मिश्रा से हुई थी। शादी के चार वर्ष बाद अगस्त 2011 में एक पुत्री का जन्म हुआ। दुर्भाग्य से 2011 में ही पति सुनील मिश्रा का ब्रेन हैमरेज से निधन हो गया।
पति के मौत के बाद ससुराल में उसके साथ दुव्यवहार होने लगा। मृतक की पत्नी व उसकी बेटी का स्वंय का कोई आश्रय नहीं होने पर उनका जुर्म सहती रही। अप्रैल 2019 में उसकी अनुपस्थिति में बेटी के साथ मारपीट किया गया। उसने इसका प्रतिकार कर थाने में शिकायत की।
इस पर ससुराल वालों ने उसे पिता के नाम का घर एवं गांव के घर व कृषि भूमि में अधिकार देने की बात कही। इसके बाद ससुराल वाले वादा से मुकर कर मां-बेटी को कही और रहने के लिए कहा और इंतजाम करने की बात कहते हुए घर से बेदखल कर दिया।
इस पर मृतक सुनील की पत्नी ने घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत नाबालिग बेटी को भरणपोषण राशि दिलाने की मांग की थी। इस पर न्यायिक मजिस्ट्रेट दुर्ग ने आवेदन पर अंतरिम आदेश पारित करते हुए 5 हजार रुपये प्रतिमाह आवेदक के नाबालिग पुत्री को देने आदेश दिया।
इसके खिलाफ अनिल मिश्रा व एक अन्य ने अपील की। अपील पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट सामने अधिवक्ता के माध्यम से याचिकाकर्ता के पास पैतृक संपत्ति होने व माता-पिता पेंशनभोगी होने की जानकारी मिली। कोर्ट ने कहा कि पिता की मृत्यु के बाद बच्चे का पैतृक संपत्ति पर बराबर का अधिकार होता है। वहीं मजिस्ट्रेट के आदेश को सही ठहराते हुए पैतृक संपत्ति से 30 हजार रुपये प्रतिमाह देने का आदेश दिया।