RAIGARH.आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित रायगढ़ लोकसभा सीट प्रदेश की अहम सीटों में शुमार रही है। इस सीट के आंकड़े बेहद दिलचस्प हैं। जानकर हैरत होगी कि इस सीट से दो दो सीएम चुनाव लड़ चुके हैं। इतना ही नहीं सबसे कम और सबसे अधिक वोटों से जीतने का खिताब भी दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों के नाम हैं।
इस चुनाव में भी इस सीट पर सीएम की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। ऐसे में इस सीट को जीतने के लिए जहां भाजपा एडी चोटी का जोर लगा रही है तो वहीं कांग्रेस हर हाल में भाजपा के हाथ से इस सीट को छीनने की कोशिश में लगी है।
रायगढ़ लोकसभा सीट शुरुआती दौर से ही प्रदेश की हाट सीट रही है। इस सीट के सियासी आंकड़े बेहद ही दिलचस्प हैं। ये सीट राजनैतिक दृष्टिकोण से कितनी अहम है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दो दो सीएम इस सीट से चुनाव लड चुके हैं। इस सीट से पूर्व सीएम अजीत जोगी 1998 से लेकर 1999 तक सांसद रहे तो वहीं 1999 से लेकर 2019 तक सांसद रहे विष्णुदेव साय वर्तमान में प्रदेश के सीएम हैं।
इस सीट पर हार जीत का अंतर भी दिलचस्प है। इस सीट पर अजीत जोगी ने सबसे कम 4382 वोटों से जीत हासिल की थी जबकि सीएम विष्णुदेव साय ने साल 2014 में 2 लाख 18 हजार वोटों से जीत का रिकार्ड बनाया है।
यही वजह है कि भाजपा अब इस रिकार्ड को तोडना चाह रही है और हर हाल में तीन लाख वोटों से जीत की जुगत लगा रही है। खुद सीएम ने भी भाजपा को 3 लाख प्लस वोटों से जीत का टारगेट दिया है। भाजपा नेता सुभाष पांडेय का दावा है कि इस चुनाव में जीत के सारे रिकार्ड टूटेंगे और पार्टी 3 लाख प्लस वोटों से जीतेगी।
इधऱ कांग्रेस हर हाल में इस सीट को भाजपा के कब्जे से मुक्त कराने की जी तोड कोशिश कर रही है। कांग्रेस का कहना है कि इस सीट पर पिछले पांच बार से भाजपा के सांसद चुनकर आ रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद रायगढ़ लोकसभा अपने पिछड़ेपन के लिए रो रही है।
भाजपा की निष्क्रियता को लेकर जनता में आक्रोश है। भाजपा सिवाए जुमलेबाजी के और कुछ नहीं कर रही है। ऐसे में जनता भाजपा से नाराज है। भाजपा के खिलाफ एंटी इंकमबेंसी का लाभ कांग्रेस को मिलेगा और पार्टी बहुमत के साथ चुनाव जीतेगी।