BILASPUR. भिलाई के बहुचर्चित अभिषेक मिश्रा हत्याकांड के दो दोषियों को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया है। जिला न्यायालय ने मामले में दो आरोपितों विकास जैन और अजीत सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई भि। वहीं एक अन्य आरोपित किम्सी जैन को दोषमुक्त कर दिया था। जिला न्यायालय ने इस मामले में 10 मई 2021 को फैसला सुनाया था। जिला न्यायालय के फैसले को दोनों आरोपितों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की बेंच में सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि यह परिस्थितिजन्य प्रकरण है और आरोपितों के खिलाफ परिस्थितियां प्रमाणित नहीं हुई हैं।
बता दें, हाईकोर्ट में पुलिस और शासन हत्या का उद्देश्य साबित नही कर सके। इसका लाभ आरापितों को मिल गया। मामले में एक भी चश्मदीद गवाह नहीं है। साथ ही प्रार्थी की ओर से सिर्फ गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने जांच के दौरान हत्या का मामला दर्ज किया लेकिन न तो गवाह है और न ही साक्ष्य है।
जिस दिन हत्या और लाश को दफनाने की बात कहीं जा रही है वह दिन 2015 में धनतेरस था बाजार के साथ पूरे क्षेत्र में भीड़ थी। पुलिस की जांच में सवाल उठाते हुए कोर्ट ने कहा कि अभिषेक मिश्रा को किम्सी ने चैहान टाउन स्थित घर पर नौ नवंबर 2015 को बुलाया।
घर पहुंचने के बाद किम्सी और अभिषेक का विवाद हुआ। पहले से मौजूद विकास और अजीत ने अभिषेक के सिर पर पीछे से राड से वार किया जिससे वह कमेरे में गिर गया। फिर अभिषेक को किम्सी के चाचा अजीत सिंह जो किराए पर स्मृति नगर भिलाई में रहता था।
उसको वहां ले जाकर पहले से किए गए छह फीट के गहरे गड्ढे में ले जाकर दफना दिया था। कोर्ट में कहा गया दोनों घर की दूरी तीन किलोमीटर से अधिक है इसके बाद भी इस पूरे मामले में कोई प्रत्यक्षदर्शी पुलिस की विवेचना में नहीं है। साथ ही पुलिस के द्वारा कहा गया कि लाश के ऊपर फूल गोभी सब्जियां उगा दी थीं।
पुलिस ने लाश के पास हाथ का कड़ा, अंगूठी और लाकेट देकर अभिषेक की लाश होने की पुष्टि की थी और कहा गया कि 100 किलो अधिक नमक डालकर ऐसा किया जिससे की बदबू नहीं आए। बचाव पक्ष ने कहा कि 45 दिनों तक लाश पड़ी रही ऐसे में नमक सालिड मिला था साथ ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतक के सिर या दूसरे किसी बाडी पार्ट में राड से वार का उल्लेख नहीं है।
परिस्थिति जन्य साक्ष्य पर टिका था मामला
यह पूरा मामला पस्थितिजन्य साक्ष्य पर टिका हुआ था। दूसरी ओर अभियोजन पक्ष सुनवाई के दौरान घटना की कड़ियों को जोड़ नहीं पाया। जिसका लाभ आरोतिपों को मिला।
किम्सी की रिहाई को हाईकोर्ट में चुनौती
इसके साथ ही अभिषेक मिश्रा के पिता आईपी मिश्रा ने किम्सी जैन की रिहाई को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। किम्सी के मामले में उच्च न्यायालय ने जिला न्यायालय के फैसले को उचित ठहराते हुए आइपी मिश्रा के आवेदन को खारिज कर दिया।