RAIGARH. ग्रामीणों का विरोध एक बार फिर रंग लाई है। दरअसल, रायगढ़ जिले के तमनार ब्लॉक में गारे पेलमा सेक्टर-2 में कोयला खदान के लिए जुलाई 2022 में महाराष्ट्र स्टेट पॉवर जनरेशन कंपनी (महाजेनको) को मिली पर्यावरणीय स्वीकृति NGT ने रद्द कर दी है।
केंद्रीय टीम और आईसीएमआर द्वारा दी गई रिपोर्ट की अनदेखी और ग्रामीणों के विरोध के बावजूद जब केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय से महाजेनको को पर्यावरणीय स्वीकृति दी गई तो ग्रामीण मामले को NGT तक ले गए। प्रभावित गांव के कन्हाई पटेल, प्रेमशीला राठिया और रिनचिन ने एनजीटी में याचिका लगाई थी।
दरअसल, तमनार के 14 से अधिक गांवों के लगभग 2600 हेक्टेयर भूमि पर ब्लॉक स्वीकृत किया गया था। साढ़े 23 मिलियन टन कोयला यहां से महाराष्ट्र के तीन ऊर्जा संयंत्रों तक पहुंचना था। इस प्रोजेक्ट से 22 गांव प्रभावित हो रहे थे।
मामले में न्यायिक लड़ाई लड़ने वाली सामाजिक कार्यकर्ता रिनचिन ने बताया कि 2015-16 से खदान के लिए भूअर्जन की कार्यवाही शुरू की गई थी। 2018 में एक बार और 2019 में दो बार ग्रामीणों के विरोध के बाद जनसुनवाई रद्द की गई। इतने विरोध के बाद भी 2019 में जनसुनवाई आयोजित की गई।
विरोध पर लाठीचार्ज और पत्थरबाजी हुई। कुछ ग्रामीणों को गिरफ्तार भी किया गया था। इलाके में दो प्रकरण खदानों के विरोध में दुकालू राम वर्सेज यूनियन ऑफ इंडिया और शिवपाल भगत वर्सेज यूनियन ऑफ इंडिया कोर्ट तक पहुंचा।
शिवपाल भगत ने मांग की थी कि बिना कैरिंग कैपेसिटी (जहां खदान शुरू करना है, वहां क्षमता है या नहीं) का सर्वे किए बगैर माइनिंग शुरू न की जाए। माइनिंग पर्यावरण नियमों की अनदेखी कर की जा रही है। एक कमेटी ने कहा कि माइनिंग से पहले कैरिंग कैपेसिटी सर्वे होना चाहिए।
इसके बाद आईसीएमआर द्वारा खदान प्रभावित क्षेत्र में लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर को लेकर सर्वे कराया गया। सर्वे से पहले और आईसीएमआर की अनुशंसा की अनदेखी कर जुलाई 2022 में महाजेनको को पर्यावरणीय स्वीकृति दे दी गई थी।v